अनार की खेती: उपायुक्त समय, प्रकार और उत्पादन की विधियाँ, किस्में, और प्रबंधन ,जाने कब और कसे करे बागवानी .
इसे उगाने के लिए सही समय,धार्मिक तौर पर अगस्त से सितंबर और फिर फरवरी से मार्च महीने होते हैं। इन महीनों में बागवानी लगाने से उत्पादन में वृद्धि होती है.
अनार की खेती: उपायुक्त समय, प्रकार और उत्पादन की विधियाँ, किस्में, और प्रबंधन ,जाने कब और कसे करे बागवानी .
अनार एक ऐसा फल है जो स्वास्थ्यवर्धक और पोषक तत्वों से भरपूर है। इसे उगाने के लिए सही समय, धार्मिक तौर पर अगस्त से सितंबर और फिर फरवरी से मार्च महीने होते हैं। इन महीनों में बागवानी लगाने से उत्पादन में वृद्धि होती है और फलों की गुणवत्ता भी बेहतर होती है। अनार के पौधों को एक बार लगाने पर कई सालों तक फल मिलता रहता है, लेकिन इसे लगाने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना महत्वपूर्ण है।
अनार की प्रमुख किस्में:
किस्म विशेषताएँ
गणेश मध्यम आकार, गुलाबी रंग, महाराष्ट्र में प्रसिद्ध
ज्योति मध्यम-बड़े आकार, पीले रंग के, मीठे बीज, गुलाबी रंग
मृदुला मध्यम आकार, गहरे लाल रंग, मीठे बीज, उच्च प्रबंधन
भगवा बड़े आकार, भगवा रंग, मीठे बीज, उच्च प्रबंधन
अरक्ता बड़े आकार, मीठे बीज, गहरे लाल रंग, उच्च प्रबंधन
कंधारी बड़ा और रसीला फल, सख्त बीज
पौधे लगाने की विधि:
गड्ढे का आकार 60 X 60 X 60 सें. होना चाहिए और उन्हें 20 किग्रा गोबर की खाद के साथ भरकर पौधों को लगाया जाता है।
पौधों को 5 X 5 या 6 X 6 सघन विधि में बाग में लगाया जाता है, जिससे प्रति हेक्टेयर लगभग 600 पौधे होते हैं।
सिंचाई को मई से मानसून तक नियमित रूप से किया जाना चाहिए और खाद की मात्रा को भी ध्यान में रखना चाहिए।
अनार से उत्पादन:
पौधे रोपण के 3 साल बाद फल आने लगते हैं, लेकिन व्यावसायिक रूप से उत्पादन करने के लिए 5 वर्षों के बाद ही फल लेना चाहिए।
सघन विधि से बाग लगाने पर एक हेक्टेयर से 5-8 लाख रुपये सालाना आय हो सकती है।
अनार की खेती के लिए सही तकनीकों का पालन करने से किसान बेहतर उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं और अपनी आमदनी में वृद्धि कर सकते हैं। इसे सही समय पर लगाना और उचित देखभाल देना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।