किसान जिप्सम का उपयोग क्यों, कब और कैसे करें ?

Update: 2023-04-18 08:24 GMT

किसान जिप्सम का उपयोग क्यों, कब और कैसे करें ?

खेत खजाना: किसान फसल उगाने के लिए सामान्यतः नत्रजन, फॉस्फोरस तथा पोटेशियम का उपयोग करते है, कैल्शियम एवं सल्फर का उपयोग नहीं करते है। जिससे कैल्शियम एवं सल्फर की कमी की समस्या धीरे- धीरे विकराल रूप धारण कर रही है, इनकी कमी सघन खेती वाली भूमि, हल्की भूमि तथा अपक्षरणीय भूमि में अधिक होती है। कैल्शियम एवं सल्फर संतुलित पोषक तत्व प्रबन्धन के मुख्य अवयवकों में से है जिनकी पूर्ति के अनेक स्त्रोत है इनमें से जिप्सम एक महत्वपूर्ण उर्वरक है।

रासायनिक रूप से जिप्सम कैल्शियम सल्फेट है, जिसमें 23.3 प्रतिशत कैल्शियम एवं 18.5 प्रतिशत सल्फर होता है जब यह पानी में घुलता है तो कैल्शियम एवं सल्फेट आयन प्रदान करता है तुलनात्मक रूप से कुछ अधिक धनात्मक होने के कारण कैल्शियम के आयन मृदा में विद्यमान विनिमय सोडियम के आपनों को हटाकर उनका स्थान ग्रहण कर लेते है। आयनों का मटियार कणों पर यह परिवर्तन मृदा की रासायनिक एवं भौतिक अवस्था में सुधार कर देता है तथा मृदा फसलोत्पादन के लिए उपयुक्त हो जाती है। साथ ही, जिप्सम भूमि में सूक्ष्म पोषक तत्वों का अनुपात बनाने में सहायता करता है।

जिप्सम क्यों डालें ?

• कैल्शियम और सल्फर की आवश्यकता की पूर्ति करने के लिए।

फसलों में जड़ों की सामान्य वृद्धि एवं विकास में सहायता देता है। • जिप्सम का उपयोग फसल संरक्षण में भी किया जा सकता है क्योंकि

इसमें सल्फर उचित मात्रा में होता है।

• तिलहनी फसलों में जिप्सम डालने से सल्फर की पूर्ति होती है, जो बीज उत्पादन तथा पौधे व तेल से आने वाली विशेष गन्ध के लिए मुख्यतयाः उत्तरदायी होता है।

• जिप्सम देने से मृदा में पोषक तत्वों सामान्यतः नत्रजन, फॉस्फोरस, पोटेशियम, कैल्शियम तथा सल्फर की उपलब्धता में वृद्धि हो जाती है।

• जिप्सम कैल्शियम का एक मुख्य स्त्रोत है जो कार्बनिक पदार्थों को मृदा के क्ले कणों से बाँधता है जिससे मृदा कणों में स्थिरता प्रदान होती है तथा मृदा में वायु का आवागमन सुगम बना रहता है।

जिप्सम मृदा में कठोर परत बनने को रोकता है तथा मृदा में जल प्रवेश को बढ़ाता है।

• कैल्शियम की कमी के कारण ऊपरी बढ़ती पत्तियों के अग्रभाग का सफेद होना, लिपटना तथा संकुचित होना होता है। अत्यधिक कमी की स्थिति में पौधों की वृद्धि अवरुद्ध हो जाती है तथा वर्धन शिखा भी जाती है जो कि जिप्सम डालने से पूरी की जा सकती है।

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