खरीफ फसलों की बुवाई का सर्वोत्तम समय Best Agriculture Practics for Time of Sowing

खरीफ फसलों की बुवाई का सर्वोत्तम समय Best Agriculture Practics for Time of Sowing

Update: 2024-04-26 10:34 GMT

केवल जोन-1-बी श्रीगंगानगर एवं हनुमानगढ जिलो के लिए

बहुत ज्यादा अगेती बिजाई नहीं करें

गत वर्ष नरमें की फसल खराब होने के कारण इस वर्ष किसानों को डर लग रहा है कि नरमा होगा या नहीं होगा। रोजाना 8-10 फोन आ रहे है कि नरमें की बिजाई करें या नहीं करें और नरमे की जगह दूसरी कौनसी फसले है, किसान जानना चाहते है।

इस क्षेत्र में ग्वार, मूंगफली, मूंग तथा तिल की फसलें भी बीज सकते है। बीटी कपास की कम अवधि में पकने वाली किस्मों की बिजाई करें। अतः जितने क्षेत्रफल में बिजाई करनी है उसमें बीटी कपास के अलावा दो-तीन अन्य फसलों की बिजाई कर सकते है। बीटी कपास की जितनी अच्छी तरह से खेती करते है अर्थात खाद, उर्वरक व स्प्रे करने पर जितना ध्यान देते है उतना ध्यान ग्वार, मूंगफली, मूंग व तिल की फसल पर दिया जाये और सही समय पर बिजाई की जाए तो इन फसलों की भी अच्छी उपज मिल सकती है।

अब जमीनें खाली हो गई है तथा नहर या टयूबवेलो का पानी भी है, तो किसान अभी सें ग्वार व मूंग की बिजाई की बात कर रहे है। इतनी अगेती बिजाई करना भी ठीक नहीं है क्योंकि अच्छा झाड़ नहीं मिलेगा। पानी की बारी आ गई है तो 5-7 दिन अगेती बिजाई करना किसान की मजबूरी होती है परन्तु बहुत ज्यादा अगेती बिजाई नहीं करनी चाहिए।

1. बीटी एवं नॉन बीटी नरमा गत वर्ष गुलाबी सुण्डी से हुए नुक्सान एवं अनुभव को देखते हुए 20 अप्रैल से 20 मई के बीच ही बुवाई करें। देसी कपास की बिजाई का समय अप्रैल के प्रथम सप्ताह से मई के प्रथम सप्ताह है।

2. ग्वार

अगेती बीजी गई फसल की बढ़वार अधिक एवं उपज कम हो जाती है। लेट बिजी गई फसल

के बाद रबी की फसल नहीं ली जा सकती है। जुलाई के दूसरे सप्ताह के बाद बिजाई करने पर

उपज में काफी कमी आ जाती है। अतः सिंचित ग्वार की बिजाई 15 से 30 जून के बीच करनी

चाहिए। असिंचित क्षेत्रों मे समय पर वर्षा न हो तो जुलाई के अन्त तक बिजाई कर सकते है।

3. तिल तिल की फसल में फायलोडी बिमारी कम उपज का मुख्य कारण है। अतः इस बिमारी से बचने के लिए अगेती बिजाई नहीं करें। इस बिमारी से बचने के लिए 1 से 15 जुलाई के बीच बिजाई

केवल जमीन ही विरासत नहीं है, जमीन की उर्वरा शक्ति भी विरासत है।

करें। परन्तु हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय की सिफारिश के अनुसार सिंचित तिल की बिजाई 15 से 30 जून के बीच करनी चाहिए। अतः तिल की बिजाई 15 जून से 15 जुलाई के बीच कर सकते है।

4. मूंग - मूंग की फसल में येलो मोजेक वायरस बिमारी कम उपज का मुख्य कारण है। इस बिमारी से बचाव के लिए मूंग की 1 से 15 जुलाई के बीच बिजाई करनी चाहिए। इस समय बोई गई फसल में मोजेक वायरस का प्रकोप कम होता है। परन्तु येलों मौजेक वायरस रोगरोधी किस्मों जैसे MH-421 तथा MH-1142 की बिजाई 15 जून सु शुरू कर सकते है। अतः मूंग की बिजाई 15 जून से 15 जुलाई के बीच कर सकते है।

5. बाजरा सिंचित बाजरे की फसल की बिजाई 15 जून से 21 जुलाई के बीच करनी चाहिए। असिंचित क्षेत्रों में अच्छी वर्षा होने पर 1 जून से 21 जुलाई के बीच बिजाई कर सकते है।

6. मूंगफली - सिंचित क्षेत्रों में मूंगफली की बिजाई 15 मई से 15 जून के बीच करनी चाहिए। रेत्तली

जमीन एवं आंधी चलने वाले क्षेत्रो में अप्रेल माह के प्रथम सप्ताह से बुवाई शुरू कर सकते है।

7. मोठ - मोठ की फसल वर्षा शुरू होने से लेकर 15 अगस्त तक बोई जा सकती है।

8. अरण्ड जुलाई का प्रथम पखवाडा अरण्ड की बुवाई के लिए उपयुक्त है, परन्तु इसे जुलाई के अन्त तक बोया जा सकता है। जल्दी बिजाई करने से बढ़वार अधिक एवं उपज कम मिलती है।

9. धान परमल धान की नर्सरी लगाने का समय 15 से 30 मई उपयुक्त है। किस्मवार नर्सरी लगाने का समय निम्न प्रकार है।

 

10. धान की सीधी बिजाई (DSR)- धान की सीधी बिजाई 1 से 20 जून के बीच करनी चाहिए। ध्यान रहे कि फसल का जमाव मानसून शुरू होने से पहले हो जाए। अच्छे जमाव एवं पानी की बचत हेतु लेजर कराया द्वारा जमीन को जरूर लेवल कर लेना चाहिए। इसे एक तरह सें अति आवश्यक समझा जाए। मध्यम एवं कम समय में पकने वाली किस्मों की ही बिजाई करें। जैसे PR-126, PR-124, पूसा बासमती 1509 तथा 1847

नोट

1. पूसा बासमती-1509 की नर्सरी में बिजाई सिफारिश किये गये समय से पूर्व नही करें, क्योंकि समय से पूर्व बिजाई करने पर धान की मिलिंग (Milling) की गुणवता में कमी आती है।

2. अधिक उम्र की पंजीरी की रोपाई करने से उपज काफी कम हो जाती है। अतः सही उम्र की पंजीरी की ही रोपाई करें।

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