Potato Cultivation: आलू की खेती करने वाले किसान भाई ध्यान दे! सर्दी से ऐसे बचाए अपनी फसल

Update: 2024-01-22 10:39 GMT

Potato Cultivation: उत्तर भारत में कड़ाके की ठंड के साथ ही घने कोहरे ने आलू किसानों की परेशानी बढ़ा दी है. इसे देखते हुए आईसीएआर- केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान-रिजनल स्टेशन मोदीपुरम मेरठ ने आलू की खेती करने वाले किसानों के लिए जरूरी सलाह दी है. संस्थान ने बताया कि पाले से किसान अपनी आलू की फसल (Potato Crop) को कैसे बचा सकते हैं. किसान संस्थान की सलाह को अपनाकर नुकसान से बच सकते हैं और आलू की बंपर पैदावार पा सकते हैं.

अपनाएं ये उपाय-

संस्थान के मुताबिक, इन दिनों खेतों की नमी बनाए रखने के लिए सिंचाई कम अंतराल पर जरूर करें. क्योंकि पूरे उत्तर भारत में न्यूनतम तापमान बहुत कम रह रहा है.

कुछ क्षेत्रों में आलू की शीर्ष पत्तियों पर हल्का पीलापन हो रहा है, जोकि मौसम के साफ होने और सूर्य की अच्छी धूप पड़ने से खुद ठीक हो जाएगा.

अंतिम सिंचाई खुदाई के 10 दिन पहले रोक दें.

भंडारण के लिए रखी जाने वाली फसल के पत्ते काटने के 10 से 15 दिन के बाद आलू की त्वचा अच्छी तरह पकने पर ही खुदाई करें.

फफूंदनाशक दवा का करें छिड़काव

जिन किसान भाइयों ने आलू की फसल में अभी तक फफूंदनाशक दवा का छिड़काव नहीं किया है या जिनी आलू की फसल में अभी पिछेता झुलसा बीमारी प्रकट नहीं हुई है, उन सभी किसान भाइयों को यह सलाह दी जाती है कि वे मैन्कोजेब/प्रोपीनेब/क्लोरोथेलोंनील युक्त फफूंदनाशक दवा का रोगा सुग्राही किस्मों पर 2.0-2.5 किग्रा दवा 1000 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव तुरंत करें.

साथ ही सलाह दी जाती है कि जिन खेतों में बीमारी दिख रही हो उन्में किसी भी फफूंदनाशक- साइमोक्सेनिल+मैन्कोजेब का 3.0 किग्रा प्रति हेक्टेयर (1000 लीटर पानी) की दर से अथवा फेनोमिडोन+मैन्कोजेब का 3.0 किग्रा प्रति हेक्टेयर (1000 लीटर पानी) की दर से अथवा डाईमेथोमार्फ 1.0 किग्रा+मैन्कोजेब 2.0 किग्रा (कुल मिश्रण 3 किग्रा) प्रति हेक्टेयर (1000 लीटर पानी) की दर से छिड़काव करें.

फफूंदनाशक को 10 दिन के अंतराल पर दोहराया जा सकता है. लेकिन बीमारी की तीव्रता के आधार पर इस अंतराल को घटाया या बढ़ाया जा सकता है. किसान भाइयों को इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि एक ही फफूंदनाशक का बार-बार छिड़काव ना करें. कवकनाशी, कीटनाशी, उर्वरकों और अन्य रसायनों के टैंक मिश्रण का छिड़काव किसी विशेषज्ञ की देखरेख में ही करें.

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