Sirsa News: धान की खेती से बढ़ी खपत, मोगो का साइज भी डिजाइन के अनुसार नहीं, पांच गांव के लोग प्यासे

Update: 2023-10-15 15:15 GMT

ऐलनाबाद। कस्बे के पांच गांव कर्मशाना, मिठनपुरा, किशनपुरा, ढाणी शेरावाली व नीमला राजस्थान की सीमा से लगते हैं। इन गांवों के लोग लंबे समय से पेयजल व सिंचाई के पानी के लिए तरस रहे हैं। पानी की कमी के चलते इन गांवों के किसानों की फसलों पर सूखे की मार पड़ रही है। सिंचाई व अन्य अधिकारियों ने अभी तक कोई समाधान नहीं किया है। किसानों की माने तो धान की बिजाई और मोगों के डिजाइन का परिणाम है कि 724 क्यूसेक पानी नहर में छोड़े जाने के बाद भी गांव के लोगों को प्यासा रहना पड़ रहा है। ग्रामीण पानी खरीदकर पीने को मजबूर हैं।

किसानों ने कहा कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव में किसी नेता को गांव में नहीं आने देंगे। वीरवार को एक किसान ने जलघर की टंकी चढ़ने का प्रयास किया ताकि सरकार उनकी मांगों को सुन लें, लेकिन साथियों ने उसको रोक लिया। उन्होंने कहा कि वे 34 दिनों के धरने पर बैठे हैं, लेकिन सुनवाई को कोई अधिकारी नहीं आया है।

युवा किसान कुलदीप मुंदलिया ने बताया कि जब तक टेल तक पानी पहुंचता, तब तक किसान धरना समाप्त नहीं करेंगे। उन्होंने बताया कि ओटू से निकलने वाली ढाणी शेरां फ्लडी नहर का पानी बड़ी मुश्किल से गांव खारी सुरेरां तक ही पहुंच पाता है। इसके आगे किसान पानी को तरसते रहते हैं। खारी सुरेरां से आगे लगभग 10 किलोमीटर के रकबे में फसल सूख रही हैं। गर्मी में तो पड़ोसी राज्य राजस्थान से टेंकरों में भरकर पानी लाना पड़ता है।

ढाणी शेरां फ्लडी नहर में पानी न पहुंचने के कई कारण है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण कारण नहर में कंटीली झाड़ियों होने के साथ-साथ पीछे के गांवों में पानी की चोरी होना है। इस कारण पानी टेल तक नहीं पहुंचता। इसको लेकर कई बार अधिकारियों को सूचित भी किया जा चुका है, लेकिन अधिकारियों ने कभी भी इस ओर ध्यान नहीं दिया है। चेतराम झोरड़, कर्मशाना, फोटो, 32।

हमारी मांग है कि नहर में 1000 क्यूसेक पानी की क्षमता की जाए, ताकि टेल पर पूरा पानी मिल सके। नहर में 724 क्यूसेक पानी चलता है। इसके बावजूद भी गावों में पानी पहुंच रहा। इसको लेकर कोई अधिकारी कुछ नहीं कर रहे। सुल्तान गोस्वामी, कर्मशाना, फोटो-35

नहर के साथ लगते इलाकों में किसानों ने धान की खेती की है। इस कारण भी पानी लागत बड़ गई है। इसके अलावा नहर में मंजूरशुदा मोगो का साइज डिजाइन के अनुसार नहीं है। इन मोगों का साइज डिजाइन के अनुसार किया जाए, ताकि प्रत्येक किसान को नियमानुसार पानी सही मात्रा में मिल सके। सरकार व अधिकारियों को चाहिए कि वे धरने पर बैठे किसानों की मांगों को सुने और उनका समाधान करें।

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