बवासीर के इलाज में अहम रोल निभा रही यह सब्जी, जड़ से खत्म होगी बीमारी, किसान खेती कर कमा रहे मोटा मुनाफा

आम खेती में किसानों को अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, लेकिन बलिया के एक किसान ने अपनी उन्नति और स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए

Update: 2024-01-14 09:41 GMT

आम खेती में किसानों को अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, लेकिन बलिया के एक किसान ने अपनी उन्नति और स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए नई खोज में सफलता प्राप्त की है। मिट्टी एवं कृषि विभाग के शोध में एक ऐसी सब्जी की खोज की गई है, जो न केवल खाने में स्वादिष्ट है, बल्कि सेहत के लिए भी फायदेमंद है। इस सब्जी का नाम है "गजेन्द्र 01 प्रजाति" या सूरन। इस सब्जी की खेती करने से किसान बिना किसी झिझक के अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं और इसे उगाने में सिंचाई और उर्वरक की आवश्यकता नहीं होती है।

इस सब्जी की खेती का खास फायदा यह है कि इसे बिना सिंचाई और उर्वरक के उगाया जा सकता है, जो किसानों को बहुत आसानी से इसे उगाने का सुनहरा अवसर प्रदान करता है। इसमें बारह महीने की मात्रा में खेती की जा सकती है और इसमें किसी प्रकार की विशेष देखभाल की जरूरत नहीं होती है।

शोध में इस सूरन की खेती से पाया गया है कि इसका वजन बिना किसी खाद या उर्वरक के लगभग साढ़े चार किलो होता है, जो किसानों को अधिक मुनाफा कमाने का एक अच्छा तरीका प्रदान करता है। इसका प्रमुख उत्पादक्षेत्र बलिया, उत्तर प्रदेश है, जहां के किसान इसे सफलता के साथ उगा रहे हैं।

टी.डी.कॉलेज, बलिया के कृषि एवं मृदा विभाग के अध्यक्ष प्रो. अशोक कुमार सिंह ने बताया कि इस सूरन का विशेषता से खाने में बहुत अच्छा स्वाद होता है और इसमें स्वास्थ्य के लाभ के लिए विशेष गुण होते हैं। यह सूरन को बवासीर के रोगियों के लिए रामबाण औषधि भी माना जाता है, जिसे उपयोग करने से गले में खुजली की समस्या नहीं होती है।

इस सूरन की खेती में ज्यादा बीज की जरूरत नहीं होती, और इसके लिए लगभग 20 से 25 क्विंटल बीज पर्याप्त होते हैं। इसे उगाने में सिंचाई और उर्वरक की आवश्यकता नहीं होती, जिससे किसानों को उबार-बार संसाधनों की खपत से बचाया जा सकता है। इससे हर हेक्टेयर से लगभग 300 से 400 क्विंटल सूरन का उत्पादन किया जा सकता है, जो किसानों को अच्छा मुनाफा दिलाता है।

इस नई खोज से किसानों को अधिक मुनाफा हासिल करने में सहायक हो सकता है और इसका सामाजिक प्रभाव हो सकता है, जो उन्नति और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक सकारात्मक कदम है।

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