सबसे ज्यादा दूध देने वाली भैंस की 5 नस्लें। Top 5 Buffalo Breeds in India

Update: 2023-08-04 12:06 GMT

मुर्रा, नीली रावी, भदावरी, गोदावरी, और जाफराबादी नस्ल की भैंसों का पालन कर दूध उत्पादन में सफलता प्राप्त की जा सकती है। ये पाँच नस्लें सालाना 2,500 से 5,000 लीटर तक का दूध दे सकती हैं। इन नस्लों का पालन करने से दूध की उत्पादन क्षमता बढ़ती है और इनके दूध में पोषक तत्व भी अधिक होते हैं। ये भैंसें पशुपालकों और किसानों को अच्छी कमाई का जरिया बना सकती हैं।

ये पाँच भैंस नस्ल का विस्तार से विवरण:

1. मुर्रा भैंस (Murrah Buffalo):

दुग्ध उत्पादन क्षमता: 2400-3000 लीटर प्रति साल

मुर्रा भैंस सबसे ज्यादा लोकप्रिय और वृद्धि शील नस्ल है।

ये भारत के उत्तर प्रदेश, हरियाणा, और पंजाब में पाई जाती हैं।

2. नीली रावी नस्ली भैंस (Nili Ravi Buffalo):

दुग्ध उत्पादन क्षमता: 2500-5000 लीटर प्रति साल

नीली रावी भैंस का मूल स्थान पंजाब की सतलज घाटी है।

उत्तर प्रदेश, बरेली, मुरादाबाद, रामपुर, ओरैय्या जैसे क्षेत्रों में भी पाई जाती है।

3. भदावरी भैंस (Bhadawari Buffalo):

  • दुग्ध उत्पादन क्षमता: 1500-2000 लीटर प्रति साल
  • भदावरी भैंस का मूल स्थान भदावर क्षेत्र, गुजरात है।
  • इस नस्ल की भैंस के दूध में अच्छी मात्रा में वसा पाया जाता है।

4. गोदावरी भैंस (Godavari Buffalo):

  • दुग्ध उत्पादन क्षमता: 1500-1800 लीटर प्रति साल
  • गोदावरी भैंस की प्राप्ति दक्षिण भारतीय राज्य आंध्रप्रदेश से होती है।
  • इसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता गजब की होती है।

5. जाफराबादी भैंस (Jafarabadi Buffalo):

  • दुग्ध उत्पादन क्षमता: 1500-2000 लीटर प्रति साल
  • जाफराबादी भैंस सबसे भारी नस्लों में से एक है।
  • ये भारत के गिर के जंगलों में पाई जाती है और गुजरात में अधिक पालन होती है।

इन नस्लों की भैंसों के पालन से आप उच्च दूध उत्पादन वाली भैंसें प्राप्त कर सकते हैं और अच्छी आमदनी कमा सकते हैं। यदि आप दूध उत्पादन के क्षेत्र में नए हैं, तो इन नस्लों के पालन के लिए पेशेवर मार्गदर्शन लेना सुनिश्चित करें। ध्यान रहे कि पशुपालन में सफलता के लिए संबंधित विषयों के अध्ययन और अनुभव का भी महत्वपूर्ण योगदान होता है।

समाप्ति रूप से, भैंसों की पांच नस्लों में से मुर्रा, नीली रावी, भदावरी, गोदावरी, और जाफराबादी भैंस का पालन कर दूध उत्पादन में सफलता प्राप्त की जा सकती है। ये नस्लें दूध उत्पादन क्षमता में वृद्धि करती हैं और इनके दूध में पोषक तत्व भी अधिक होते हैं। पशुपालकों और किसानों के लिए इन नस्लों का पालन अच्छे रोजगार का एक अच्छा विकल्प हो सकता है।

Tags:    

Similar News