तुड़ी (भूसा) का भाव क्या है ? किसान तुड़ी का भंडारण करें या नहीं ? जानें महत्वपूर्ण जानकारी

Update: 2024-04-14 10:30 GMT

तुड़ी (भूसा) का भाव क्या है ? किसान तुड़ी का भंडारण करें या नहीं ? जानें महत्वपूर्ण जानकारी

खेत खजाना : नई दिल्ली, नमस्कार किसान मित्रों! किसान भाइयों जैसा की आप सभी जानते है की सरसों हार्वेस्टिंग के बाद अब गेंहू की कटाई शुरू हो गई है और कुछ क्षेत्रों में गेंहू की कटाई बढ़ाई कंप्लीट हो गई है । ऐसे में किसान भाई जैसे जैसे समय बदलता है ठीक वैसे ही गेंहू की कटाई हाथों से न करके मशीन के द्वारा कर रहे है । जिससे किसानों को समय की बचत होती है और महनत भी कम करनी पड़ती है । लेकिन मशीन से की गई गेंहू कटाई से तुड़ी (भूसा) कम निकलता है । जो छोटे किसान है उनको तुड़ी (भूसा) को लेकर काफी परेशानी होती है । क्योंकि वो किसान कम्बाइन व रीपर से कटाई कर लेते है उसके बाद में तुड़ी उत्पादन कम होता है और उन्हे लास्ट में तुड़ी अधिक रेट पर खरीदनी पड़ती है ।

किसान भाइयों तुड़ी का रेट बढ़ने का एक यही कारण है की किसान अपनी फसलों की कटाई कम्बाइन से करवाते है । जो किसान अपने हाथों से गेंहू की कटाई करते है उनको तुड़ी भंडारण में अधिक लाभ मिलता है । जिन लोगों के पास पशु है और जमीन नहीं है उन किसानों को इस समय गेंहू के भूसे की अधिक आवश्यकता होती है । तो आइए जानते है तुड़ी का भाव ?

आज हम आपको वर्ष 2024 में तूड़ी के भाव की जानकारी देने जा रहे हैं। पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष तूड़ी के दामों में कुछ गिरावट देखी गई है, जो कि पशुपालकों के लिए एक अच्छी खबर है। आइए जानते हैं कि राजस्थान, हिमाचल, पंजाब और हरियाणा में तूड़ी के भाव क्या हैं।

गेहूं की फसल के बाद बचे हुए डंठलों को छोटा करके तैयार किया जाने वाला पशुचारा जिसे तूड़ी कहते हैं न केवल पशुओं के लिए बल्कि जलाऊ संसाधनों के रूप में भी उपयोगी है। भारत में तूड़ी का सबसे अधिक उत्पादन पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश में होता है।

हरियाणा में तूड़ी का भाव न्यूनतम 600 रूपये से लेकर अधिकतम 800 रूपये प्रति क्विटल है। राजस्थान में यह 700 रूपये से 1200 रूपये, पंजाब में 700 से 1000 रूपये और हिमाचल में 900 से 1100 रूपये प्रति क्विटल है।

तूड़ी के भाव में यह उतार-चढ़ाव क्यों होता है? इसका मुख्य कारण है कि आजकल कुछ फैक्टरियों और ईंट भट्टों पर ईंट पकाने और अन्य जलाऊ इंधन की जगह तूड़ी का उपयोग होने लगा है। वनों की कमी के कारण सुखी लकड़ी की उपलब्धता में कमी आई है, और तूड़ी लकड़ी के मुकाबले सस्ती पड़ती है।

हरियाणा और पंजाब में ईंट भट्टों और फैक्टरियों का विस्तार हो रहा है, जिससे तूड़ी की मांग में वृद्धि हो रही है। इससे पशुपालकों को अपने पशुओं के लिए तूड़ी की खरीदारी में दिक्कत हो रही है।

1 हेक्टेयर में तूड़ी का उत्पादन 80 से 120 क्विटल होता है, जो प्रति बीघा 20 से 30 क्विटल होता है। सस्ता तूड़ी सबसे अधिक हरियाणा राज्य के केंद्रित जिलों में मिलता है, जहाँ वर्तमान में 400 रूपये से 550 रूपये प्रति क्विटल तूड़ी मिल जाती है।

किसानों को सलाह दी जाती है कि वे गेहूं की कटाई के बाद अपने पशुओं की संख्या के आधार पर तूड़ी का भंडारण कर लें, ताकि बाद में भाव बढ़ने पर उन्हें परेशानी न हो।

उम्मीद है कि किसान मित्रों को तूड़ी के भाव की सही जानकारी मिलेगी और वे अपने पशुओं के लिए समय रहते उचित भंडारण कर पाएंगे।

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