गेहूं के फूल का रोग: गेहूं के फूल का रोग कैसे होता है? कारण, लक्षण और उपाय
गेहूं के फूल का रोग
गेहूं की फसल में रतुआ और करनाल बंट जैसे रोग बहुत नुकसानदायक होते हैं. इन रोगों के कारण गेहूं के दाने कमजोर और बेकार हो जाते हैं. इससे गेहूं की उत्पादकता और गुणवत्ता पर बुरा असर पड़ता है. इस लेख में हम आपको गेहूं के फूल का रोग के बारे में बताएंगे कि यह कैसे होता है, इसके लक्षण कौन-कौन से हैं और इससे बचने के लिए क्या-क्या करना चाहिए.
गेहूं के फूल का रोग कैसे होता है?
गेहूं के फूल का रोग एक प्रकार का फफूंदी रोग है, जो गेहूं के फूलों, तनों और दानों पर लगता है. इस रोग को रतुआ या रस्ट भी कहते हैं. इस रोग के तीन प्रकार होते हैं: पीला रतुआ, भूरा रतुआ और काला रतुआ. इनमें से पीला रतुआ सबसे आम और खतरनाक होता है. इस रोग का कारण एक फफूंदी है, जो पवन, पानी, बीज और मिट्टी के माध्यम से फैलता है. इस फफूंदी के बीज गेहूं के फूलों पर जमा होते हैं और उन्हें पीला कर देते हैं. इससे गेहूं के दाने विकसित नहीं हो पाते हैं और उनमें पोषक तत्व कम हो जाते हैं.
गेहूं के फूल का रोग के लक्षण कौन-कौन से हैं?
गेहूं के फूल का रोग के लक्षण निम्नलिखित हैं:
- गेहूं की पत्तियों और फूलों पर पीले रंग की धारियां या दाग दिखाई देते हैं.
- गेहूं के दानों का आकार छोटा और अकार में बदल जाता है.
- गेहूं के दानों में अजीब सी बदबू आती है.
- गेहूं के दानों का रंग काला या भूरा हो जाता है.
- गेहूं के दानों में काला पाउडर या धूल जैसा पदार्थ पाया जाता है.
गेहूं के फूल का रोग से बचने के लिए क्या-क्या करना चाहिए?
गेहूं के फूल का रोग से बचने के लिए निम्नलिखित उपाय करना चाहिए:
- गेहूं की फसल में रोग प्रतिरोधी किस्में ही बोना चाहिए.
- गेहूं की फसल को समय-समय पर जांचते रहना चाहिए. यदि कोई रोग लगने का संकेत मिलता है, तो उस पौधे को तुरंत उखाड़ कर जला देना चाहिए.
- गेहूं की फसल को अनुशंसित मात्रा में उर्वरक और कीटनाशक का उपयोग करना चाहिए.
- गेहूं की फसल को अधिक भीड़ न होने देना चाहिए. इसके लिए गेहूं की फसल को उचित अंतराल पर बोना चाहिए.
- गेहूं की फसल को बाली निकलने के बाद से ही सिंचाई करना चाहिए. बाली निकलने के पहले सिंचाई नहीं करनी चाहिए.
- गेहूं की फसल में फफूंद नाशक का छिड़काव करना चाहिए. इसके लिए प्रोपिकोनाजोल, टेबुकोनाजोल या कार्बेन्डाजिम जैसे फफूंद नाशक का उपयोग करना चाहिए.