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यूपी में हाईवे निर्माण के लिए 59 गांवों की जमीन पर नजर, किसानों को करोड़ों में मिलेगा मुआवजा

Land of 59 villages being eyed for highway construction in UP, farmers will get compensation in crores

यूपी  में हाईवे निर्माण के लिए 59 गांवों की जमीन पर नजर, किसानों के सामने मुआवजे का सवाल

किसान भाइयों, यूपी में highway construction का एक बड़ा प्लान सामने आया है, और इस बार निशाने पर है बहराइच जिला। खबर है कि बाराबंकी से बहराइच तक 100 किलोमीटर का फोरलेन हाईवे बनाने के लिए 59 गांवों के किसानों की जमीन ली जाएगी। ये प्रोजेक्ट न सिर्फ बहराइच बल्कि पांच जिलों—श्रावस्ती, गोंडा, बलरामपुर, बाराबंकी और सीतापुर—के लोगों के लिए game-changer साबित हो सकता है। लेकिन इसके साथ ही सवाल उठ रहा है कि जिन किसानों की जमीन जाएगी, उनके लिए सरकार क्या करेगी? आज 24 फरवरी 2025 को ये खबर ताजी है, और हर कोई जानना चाहता है कि आगे क्या होगा।

शुरुआत में प्लान था कि ये हाईवे नेपाल की सीमा तक, यानी रुपईडीहा तक जाएगा। लेकिन government ने सर्वे के बाद फैसला लिया कि अभी बहराइच से रुपईडीहा के बीच ट्रैफिक कम है, तो पहले सिर्फ बहराइच सिटी तक ही फोरलेन बनेगा। बाद में दूसरे चरण में आगे का काम होगा। इस highway construction पर 5,500 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) ने डीपीआर फाइनल कर दिया है, और अब जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया तेज हो गई है। बहराइच के 59 गांवों को चिह्नित कर लिया गया है, और अगले 2-3 महीनों में मुआवजे की बात शुरू हो सकती है। लेकिन क्या ये मुआवजा किसानों की उम्मीदों पर खरा उतरेगा?

बाराबंकी से बहराइच तक का ये हाईवे अभी टू-लेन है, और ट्रैफिक का दबाव बढ़ने की वजह से इसे फोरलेन करने का फैसला हुआ। बाईपास भी बनेंगे, ताकि शहरों में जाम की समस्या न रहे। बहराइच की भूमि अधिग्रहण अधिकारी शालिनी प्रभाकर ने बताया कि अभी बहराइच से जरवल तक की जमीन ली जाएगी। इसके लिए एनएचएआई ने पूरी लिस्ट तैयार कर ली है। Highway construction का ये प्रोजेक्ट पांच जिलों को जोड़ेगा, जिससे न सिर्फ सफर आसान होगा, बल्कि व्यापार और खेती के लिए भी नए रास्ते खुलेंगे। लेकिन इसके लिए 59 गांवों के किसानों को अपनी जमीन छोड़नी होगी, और यही बात सबसे बड़ी चुनौती बन रही है।

किसानों की चिंता को समझना जरूरी है। बहराइच में ज्यादातर लोग खेती पर निर्भर हैं। इन 59 गांवों में जमीन न सिर्फ उनकी आजीविका है, बल्कि पीढ़ियों से उनकी पहचान भी। अब जब highway construction के लिए उनकी जमीन ली जाएगी, तो सवाल उठता है कि मुआवजा कितना मिलेगा और कब मिलेगा? पिछले कुछ प्रोजेक्ट्स में किसानों ने शिकायत की थी कि मुआवजा कम मिला या देरी हुई। शालिनी प्रभाकर ने भरोसा दिलाया कि प्रक्रिया पारदर्शी होगी, और 2-3 महीनों में मुआवजे का काम शुरू हो जाएगा। लेकिन किसानों का कहना है कि सरकार को पहले उनकी बात सुननी चाहिए, ताकि कोई जल्दबाजी में गलत फैसला न हो।

अब इसके फायदों की बात करते हैं। ये हाईवे बनने से बहराइच-लखनऊ मार्ग पर सफर तेज और सुरक्षित हो जाएगा। अभी इस रास्ते पर जाम और हादसे आम बात हैं। फोरलेन बनने से समय बचेगा, और खेती का सामान बाजार तक जल्दी पहुंचेगा। श्रावस्ती, गोंडा, बलरामपुर और बाराबंकी के लोग भी इससे जुड़ेंगे। लखीमपुर और सीतापुर जैसे इलाकों तक कनेक्टिविटी बढ़ेगी। Highway construction से इलाके की अर्थव्यवस्था को बूस्ट मिलेगा, और नौकरियों के मौके भी बढ़ेंगे। लेकिन ये सारे फायदे तभी सही मायनों में होंगे, जब किसानों को उनकी मेहनत का सही दाम मिले।

अब एक नजर बहराइच के आसपास की दूसरी सड़कों पर भी डालते हैं। पयागपुर तहसील में सत्संग नगर कॉलोनी से अर्जुन पुरवा और भूपगंज से ककरहा कुट्टी तक के संपर्क मार्ग बदहाल हैं। वहां गड्ढे और बिखरी गिट्टियां लोगों के लिए परेशानी बन रही हैं। ग्रामीणों का कहना है कि बाइक पलटने की घटनाएं बढ़ गई हैं, और सड़क की मरम्मत जरूरी है। उप जिलाधिकारी दिनेश कुमार ने भरोसा दिया कि जल्द ही इसकी मरम्मत के लिए कदम उठाए जाएंगे। लेकिन जब तक बड़ा हाईवे तैयार नहीं होता, इन छोटी सड़कों की हालत भी इलाके के लिए बड़ी चुनौती है।

Highway construction का ये प्रोजेक्ट यूपी के लिए बड़ा कदम है, लेकिन इसके साथ किसानों की चिंताओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। सरकार को चाहिए कि वो जमीन अधिग्रहण से पहले किसानों से बात करे, उनकी राय ले, और मुआवजे का सही इंतजाम करे। अगर सब ठीक रहा, तो ये हाईवे न सिर्फ सड़क बनाएगा, बल्कि तरक्की के नए रास्ते भी खोलेगा। लेकिन अगर किसानों का भरोसा टूटा, तो ये प्रोजेक्ट विवादों में भी फंस सकता है।

खेत खजाना आपके लिए ऐसी ही ताजी और भरोसेमंद खबरें लाता रहेगा। आप क्या सोचते हैं? क्या ये हाईवे किसानों के लिए फायदेमंद होगा, या उनकी जमीन छिनने से नुकसान ज्यादा होगा? नीचे कमेंट में अपनी राय जरूर दें, और इस खबर को अपने दोस्तों के साथ शेयर करें। हम सबकी आवाज सरकार तक पहुंचानी है!

 

Sandeep Verma

नमस्ते दोस्तों, मैं पत्रकार संदीप वर्मा । पिछले 14 साल से पत्रकारिता में काम कर रहा हूं और अलग-अलग विषयों पर लिखना मुझे बहुत पसंद है। खासतौर पर खेती-बाड़ी, बागवानी और सरकारी योजना से जुड़े मुद्दों में मेरी गहरी रुचि है। मैं हमेशा कोशिश करता हूं कि आपको सच्ची और सही जानकारी दे सकूं, ताकि आप इन विषयों को अच्छे से समझ सकें। अगर आप भी इन जरूरी और दिलचस्प बातों को जानना चाहते हैं, तो जुड़े रहें https://khetkhajana.com/ के साथ। धन्यवाद

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