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मावठ-ओलो से खड़ी फसल में हुए नुकसान की कैसे होगी भरपाई?

बीमा कंपनियों की चांदी के लिए इंटीमेशन खत्म

जयपुर। प्रदेश के कई जिलों में तेज मावठ के साथ हुई ओलावृष्टि ने रबी फसलों को तहस- नहस करके रख दिया है। इससे किसानों को भारी फसली नुकसान संभावित है। कहने को सरकार ने प्राकृतिक आपदा से फसली सुरक्षा के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लागू की हुई है। लेकिन, इस योजना का हास्यापद पहलू यह है कि प्राकृतिक कारणों से खड़ी फसल में हुए नुकसान ही भरपाई नहीं की जायेगी।

ऐसे में यह योजना सिर्फ और सिर्फ फसल बीमा के नाम पर बीमा कंपनियों की चांदी करवाने के लिए ही बनाई गई है। योजना से जुड़ी खामियों को दूर करने के लिए कई बार किसान संगठन आवाज उठा चुके है। लेकिन, सरकार पर कोई असर होता नजर नहीं आ रहा है। इस कारण प्राकृतिक आपदा के समय राम रूठा, लेकिन, राज नहीं रूठेगा जैसे वादे किसान के लिए हर बार खोखले साबित होकर रह जाते हैं।

इंटीमेशन को हटाया
कृषि विभागीय सूत्रों ने बताया कि पीएम फसल बीमा योजना में पहले प्राकृतिक कारण जैसे पाला, शीतलहर, बारिश से खड़ी फसल में हुए नुकसान का आकलन किया जाता रहा है। लेकिन, एक साल से इस नियम का सरकार स्तर पर लोप किया जा चुका है। सूत्र बताते है कि बीमा नियमों में इस तरह के बुकसान को इंटीमेशन कहा जाता है। लेकिन, अब केवल किसानों को फसल कटाई के 14 दिन बाद तक, प्राकृतिक कारणों से बीज बुवाई में पखवाडे भर की देरी होने पर और फसल कटाई प्रयोग में सामने आए नुकसान के आधार पर ही किसानों को बीमा क्लेम का भुगतान किया जाता है।

जिम्मेदारों ने साधी चुप्पी
फसल बीमा योजना के प्रावधानों को लेकर कृषि विभाग के जिम्मेदारों ने चुप्पी साधी हुई है। मावठ और ओलो से हुए फसली नुकसान को लेकर हलयर टाइम्स ने जब योजना के प्रभारी संयुक्त निदेशक मुकेश माथुर से सम्पर्क किया तो उन्होंने फोन तक रिसीव नहीं किया है। ऐसे में सरकार के सुशासन की दुहाई और कार्मिकों की जिम्मेदारी की भी कलई खुलकर सामने आई है।

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