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Kanpur Fertilizer Factory : कानपुर की फर्टीलाइजर फैक्ट्री हुई बंद, 2000 कर्मचारियों के सामने रोजी-रोटी का छाया संकट

कानपुर की फर्टीलाइजर फैक्ट्री बंद होने से 2000 कर्मचारियों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। जानें बंदी के कारण और इसके प्रभाव।

Kanpur Fertilizer Factory : कानपुर की फर्टीलाइजर फैक्ट्री हुई बंद, 2000 कर्मचारियों के सामने रोजी-रोटी का छाया संकट

 18 January 2025

Kanpur Fertilizer Factory : कानपुर के औद्योगिक स्वरूप को बड़ा झटका लगा है। प्रदेश की बड़ी फैक्ट्री में शुमार कानपुर फर्टिलाइजर एंड केमिकल्स लिमिटेड (KFCL) को बंद कर दिया गया है, जिससे 2000 कर्मचारियों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है।

बंदी के कारण

कंपनी के सीईओ आलोक गौड़ ने मीटिंग कर बंदी की घोषणा की और बताया कि सरकार द्वारा खाद पर सब्सिडी का भुगतान बंद होने से यह संकट उत्पन्न हुआ है। 18 दिसंबर से काम बंद चल रहा था और आखिरकार फैक्ट्री को बंद करने का निर्णय लिया गया।

कर्मचारियों का संकट

बंदी के बाद से प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से फैक्ट्री से जुड़े करीब 2000 लोगों के सामने रोजगार का संकट खड़ा हो गया है। अचानक हुई तालाबंदी से श्रमिक संगठन विरोध में आ गए हैं। आज एटक के नेता श्रमायुक्त को ज्ञापन सौंपेंगे।

फैक्ट्री का इतिहास

कानपुर फर्टिलाइजर का इतिहास बहुत पुराना है। यह फैक्ट्री 1970 में इंडियन केमिकल इंडस्ट्रीज द्वारा स्थापित की गई थी और बाद में जीपी गोयनका के डंकन ग्रुप ने इसे 1993 में खरीद लिया। घाटे की वजह से 2010 में जेपी ग्रुप ने इसे खरीदा। जेपी ग्रुप के दिवालिया होने का असर इस पर भी पड़ा, जिसके कारण अंत में कंपनी को बंद करना पड़ा।

देनदारी और वेतन संकट

कंपनी पर बैंकों की बड़ी देनदारी है, जिसके कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है। एटक के जिला मंत्री असित सिंह ने बताया कि दिसंबर माह से स्थितियां विकट हो गई थीं और कर्मचारियों को दो जनवरी को मिलने वाला दिसंबर माह का वेतन 14 जनवरी को भुगतान किया गया।

कर्मचारी संकट के कारणविवरण
सब्सिडी का भुगतान न होनासरकार द्वारा खाद पर सब्सिडी का भुगतान बंद होने से संकट उत्पन्न हुआ
बैंकों की देनदारीकंपनी पर बैंकों की बड़ी देनदारी है
वेतन भुगतानदिसंबर माह का वेतन जनवरी में भुगतान किया गया

चांद छाप यूरिया

कानपुर फर्टिलाइजर द्वारा चांद छाप यूरिया का उत्पादन किया जाता था, जो प्रदेश के साथ ही देश में भी सप्लाई की जाती थी। फैक्ट्री बंद होने से बड़ी संख्या में किसानों को भी नुकसान हो सकता है।

श्रमिकों का विरोध

आज शनिवार को एटक के नेता श्रमायुक्त को मिलकर ज्ञापन सौंपेंगे और फैक्ट्री की बंदी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करेंगे। श्रमिक संगठन भी अपने अधिकारों की रक्षा के लिए लड़ाई लड़ने की तैयारी कर रहे हैं।

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