ससुराल की संपत्ति में बहू का अधिकार: 4 महत्वपूर्ण बातें जो हर महिला को जाननी चाहिए
हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 8 के अनुसार, एक महिला को अपने ससुराल की पैतृक संपत्ति में कोई अधिकार नहीं होता जब तक कि उसका पति या सास-ससुर जीवित हैं।

भारतीय कानून के अनुसार, एक पत्नी को अपने पति की संपत्ति पर अधिकार तब मिलता है जब पति की मृत्यु हो जाती है। पति के जीवित रहते, पत्नी को उसकी स्वयं अर्जित संपत्ति पर कोई कानूनी अधिकार नहीं होता। यदि पति ने अपनी संपत्ति के लिए वसीयत बनाई है, तो वसीयत में दिए गए प्रावधानों के अनुसार ही पत्नी को संपत्ति पर अधिकार मिलेगा। उदाहरण के लिए, दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक मामले में स्पष्ट किया कि पत्नी को संपत्ति पर अधिकार केवल वसीयत के माध्यम से ही मिलता है; पति की मृत्यु से पहले तक संपत्ति में उसका कोई अधिकार नहीं था।
ससुराल की संपत्ति में बहू का अधिकार:
हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 8 के अनुसार, एक महिला को अपने ससुराल की पैतृक संपत्ति में कोई अधिकार नहीं होता जब तक कि उसका पति या सास-ससुर जीवित हैं। पति की मृत्यु के बाद, बहू अपने पति के हिस्से की संपत्ति की उत्तराधिकारी बन सकती है। इसका मतलब है कि बहू को ससुराल की संपत्ति पर अधिकार तब मिलता है जब उसका पति उस संपत्ति में हिस्सा रखता हो।
पत्नी के पूर्वजों की संपत्ति पर पति का अधिकार:
पत्नी के पूर्वजों की संपत्ति पर पति का कोई सीधा अधिकार नहीं होता। हालांकि, यदि यह संपत्ति पत्नी के नाम पर आ जाती है, तो पति इस पर अधिकार जता सकता है, लेकिन इसके लिए पत्नी की सहमति अनिवार्य होती है। पति अपनी संपत्ति का हिस्सा पत्नी को बेच सकता है, लेकिन इसके लिए पत्नी की सहमति आवश्यक है।
तलाक की स्थिति में संपत्ति का अधिकार:
तलाक की स्थिति में, पति और पत्नी दोनों के अधिकार अलग-अलग होते हैं। यदि पत्नी जॉब या व्यवसाय करती है, तो स्थिति और भी जटिल हो जाती है। तलाक के बाद, पत्नी पति की संपत्ति में हक जता सकती है, लेकिन वह इसे पूरी तरह से कब्जे में नहीं ले सकती। संयुक्त संपत्ति पर दोनों का समान अधिकार होता है और इसे कानूनी प्रक्रिया के माध्यम से विभाजित किया जाता है।