देश के 16 करोड़ किसानों पर 21 लाख करोड़ का लोन, इतने लाख का कर्जदार है हर किसान

को-ऑपरेटिव बैंकों के मामले में भी स्थिति निरंतर बढ़ती जा रही है, जहाँ देश के करीब 2.67 करोड़ किसानों ने कुल 2 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज लिया है।

देश के 16 करोड़ किसानों पर 21 लाख करोड़ का लोन, इतने लाख का कर्जदार है हर किसान
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भारतीय कृषि संवाद के अनुसार, देशभर के किसानों पर कर्ज का बोझ दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है। आजकल के मौजूदा परिप्रेक्ष्य में देश में कर्ज की चर्चा बहुत हो रही है, लेकिन यह सवाल भी उठता है कि क्या देश के किसानों का कर्ज इस बढ़ते बोझ से बाहर निकालने का कोई रास्ता है?

नाबार्ड के डेटा के अनुसार, देशभर के तरह-तरह के बैंकों के पास करीब 16 करोड़ किसानों के लिए लगभग 21 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है। यदि इस कर्ज को सभी किसानों में बराबर रूप में बांट दिया जाए, तो प्रति किसान के कर्ज की राशि 1.35 लाख रुपये तक पहुँच सकती है।

इस समय, प्राइवेट और सरकारी बैंकों के बीच विभिन्न श्रेणियों में बांटे गए कर्ज की विशेषताएँ देखने योग्य हैं। कमर्शियल बैंकों से लिए आंकड़ों के अनुसार, लगभग 10.80 करोड़ किसानों के कर्ज की कुल राशि 16.40 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा है। इससे प्रति किसान का कर्ज औसतन 1.51 लाख रुपये है, जो उचित नहीं है।

को-ऑपरेटिव बैंकों के मामले में भी स्थिति निरंतर बढ़ती जा रही है, जहाँ देश के करीब 2.67 करोड़ किसानों ने कुल 2 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज लिया है। यदि यह कर्ज सभी किसानों में बराबर रूप में बांटा जाए, तो प्रति किसान का कर्ज लगभग 75,241.35 रुपये तक पहुँच सकता है।

विभिन्न राज्यों में कर्ज की राशि की बात करें तो राजस्थान, उत्तर प्रदेश और गुजरात द्वारा किए गए कर्ज की राशियों में बड़ी वृद्धि दर्ज की गई है। यह चिंता की बात है कि किसानों के साथियों का कर्ज बढ़ते बोझ के कारण उनकी आर्थिक स्थिति को और भी कठिनाईयों का सामना करना पड़ सकता है।

समापन रूप से, भारत में किसानों के कर्ज की बढ़ती संख्या और उसके परिप्रेक्ष्य में सरकार की कदम रखने की आवश्यकता है। देश की सत्ता के नेता और निर्णायकों को किसानों के आर्थिक उत्थान के लिए नये सुझावों की तलाश में होनी चाहिए, ताकि उनके कर्ज का बोझ कम हो सके और वे सशक्त भविष्य की ओर बढ़ सकें।

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