8.11% पहुची बेरोजगारी दर, शहरों के मुकाबले गांव में नौकरी योग्य लोग ज्यादा, क्या लघु उद्योग बढ़ने से बेरोजगार हो रहे हैं युवा?

8.11% पहुची बेरोजगारी दर, शहरों के मुकाबले गांव में नौकरी योग्य लोग ज्यादा, क्या लघु उद्योग बढ़ने से बेरोजगार हो रहे हैं युवा?
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Khetkhajana

8.11% पहुची बेरोजगारी दर, शहरों के मुकाबले गांव में नौकरी योग्य लोग ज्यादा, क्या लघु उद्योग बढ़ने से बेरोजगार हो रहे हैं युवा?

अगर आप यह सोच रहे हैं कि 38% रोजगार देने वाले मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की ग्रोथ चार माह के उच्चतम स्तर पर है। मासिक जीएसटी 1.8 लाख करोड़ के पार है। घरेलू हवाई यात्रियों की संख्या एक दिन में 4.5 लाख का रिकॉर्ड बना चुका है, फिर भी बेरोजगारी दर कैसे बढ़ रही है ? तो जवाब है- देश में सर्वाधिक रोजगार देने वाले लघु एवं मध्यम उद्यमों में ग्रोथ की रफ्तार स्थिर रहने से बेरोजगारी दर बढ़ रही है। जीएसटी कलेक्शन की वजह है- ऊंची महंगाई दर । वहीं, ग्रामीण इलाकों में रबी फसल के बाद शादियों का सीजन होने से परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स ऊपर है।

8.11 प्रतिशत पहुंची बेरोजगारी दर, जबकि एलपीआर 42 फीसदी हुई

इस साल देश में बेरोजगारी दर लगातार बढ़ रही है। अप्रैल 23 में यह 4 महीने के उच्चतम स्तर 8.11% पर पहुंच गई। मार्च में 7.8% और जनवरी में 7.14% थी। सेंटर फॉर मॉनीटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) की ताजा रिपोर्ट में ये आंकड़े सामने आए। हालांकि, लेबर पार्टिसिपेशन रेट (एलपीआर) अप्रैल में 42% रहा, जो पिछले 3 साल में सबसे ज्यादा है।

| अप्रैल में 89% रही बेरोजगारी दर

पिछले 12 महीने में बेरोजगारी दर 6.4% से 8.3% के बीच रही यानी औसतन 7.6% दर्ज की गई।

शहरों के मुकाबले गांवों में नौकरी योग्य लोग ज्यादा.....

• देश में कामगारों की संख्या अप्रैल में 42.97 . करोड़ हो गई, जो मार्च में 40.76 करोड़ थी। इससे रोजगार दर अप्रैल में 38.57% हो गई।

• लैबर पार्टिसिपेशन रेट (एलपीआर) मार्च 2020 के बाद पहली बार 40% से ऊपर गया है। मार्च 20 से 2022 के बीच सभी महीनों में यह 38% से नीचे रहा। • एलपीआर में बढ़ोतरी यह दर्शाती है कि लोग . रोजगार के इच्छुक हैं और वे काबिल भी हैं।

• गांवों में अप्रैल में बेरोजगारी दर 7.34% रही, जो मार्च में 7.47% थी। इसी तरह, शहरों में अप्रैल में बेरोजगारी दर 9.8% पर पहुंच गई, जो मार्च में 8.5% थी। • अप्रैल में ग्रामीण इलाकों में रोजगार दर 40.49% रही, जो पिछले तीन साल का उच्चतम स्तर है। • रूरल लेबर फोर्स का हिस्सा बनने वालों में करीब 94.6% को जॉब मिल गई, जबकि शहरी लेबर फोर्स में शामिल होने वालों में सिर्फ 54.8% ही जॉब पा सके।

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