Yogi Adityanath का असली नाम जानते हैं आप? साधु से यूपी के शानदार सीएम तक का सफर

Yogi Adityanath का असली नाम जानते हैं आप? साधु से यूपी के शानदार सीएम तक का सफर
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योगी आदित्यनाथ

योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) का नाम आज देश की राजनीति में एक बड़ा ब्रांड बन चुका है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने अपने कामों और विचारों से लोगों का दिल जीता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि योगी आदित्यनाथ का असली नाम क्या है? या फिर वो कैसे सन्यासी बने और फिर राजनीति में आए? इस लेख में हम आपको योगी आदित्यनाथ की पर्सनल लाइफ से जुड़ी कुछ रोचक बातें बताएंगे, जो शायद आपने पहले कभी नहीं सुनी होंगी.

योगी आदित्यनाथ का जन्म और परिवार

योगी आदित्यनाथ का जन्म 5 जून 1972 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के पंचूर गांव में हुआ था. उनका असली नाम अजय मोहन सिंह बिष्ट था. उनके पिता आनंद सिंह बिष्ट एक वन रेंजर थे और माता सावित्री देवी एक गृहिणी थीं. उनके एक भाई और पांच बहनें हैं. उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा अपने गांव के स्कूल से की और बाद में हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय से गणित में बीएससी की डिग्री हासिल की.

योगी आदित्यनाथ का सन्यास और गोरखनाथ मठ

योगी आदित्यनाथ ने अपनी पढ़ाई के दौरान ही धार्मिक और राष्ट्रवादी विचारों से प्रभावित होने लगे. उन्होंने अपने परिवार को बिना बताए 1994 में 22 साल की उम्र में सन्यास ले लिया और गोरखपुर के प्रसिद्ध गोरखनाथ मठ के पास पहुंच गए. वहां उन्हें नाथ सम्प्रदाय के महंत अवैद्यनाथ ने अपना शिष्य बनाया और उन्हें योगी आदित्यनाथ का नाम दिया. योगी आदित्यनाथ ने अपने गुरु की तरह हिन्दुत्व और राष्ट्रवाद को अपना जीवन मंत्र बनाया और उनके साथ राजनीति में भी कदम मिलाया.


योगी आदित्यनाथ की राजनीति और बीजेपी

योगी आदित्यनाथ ने अपनी राजनीतिक शुरुआत 1996 में गोरखपुर से छात्र संघ के टिकट पर चुनाव लड़कर की, लेकिन उन्हें निर्दलीय उम्मीदवार के खिलाफ हारना पड़ा. उन्होंने अपनी हार को अकेले नहीं लिया और अपने गुरु के साथ बीजेपी के साथ जुड़ गए. 1998 में उन्हें बीजेपी का टिकट मिला और उन्होंने गोरखपुर से लोकसभा चुनाव जीता. उन्होंने इसके बाद भी लगातार पांच बार गोरखपुर से लोकसभा चुनाव जीते और अपने क्षेत्र में एक मजबूत नेता के रूप में उभरे. योगी आदित्यनाथ ने 2002 में अपना खुद का संगठन हिन्दू युवा वाहिनी भी बनाया, जिसके माध्यम से वे हिन्दुत्व और राष्ट्रवाद के अग्रदूत बने. योगी आदित्यनाथ के बीजेपी के साथ कई बार तनाव भी रहा

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