पशुपालन के साथ गोबर से करें लाखों का कमाई, बायो गैस बिक रही 73 रुपए प्रति किलो, बड़ी कंपनियां बैठी हैं खरीदने के इंतजार में

बायो CNG प्लांट, गोबर और अन्य जैविक अपशिष्ट से मीथेन गैस उत्पादित करने के लिए डिज़ाइन किया जाता है। इस प्लांट में वीपीएसए (वेरियेबल प्रेशर स्विंग एडसोरप्शन सिस्टम) टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जाता है,

पशुपालन के साथ गोबर से करें लाखों का कमाई, बायो गैस बिक रही 73 रुपए प्रति किलो, बड़ी कंपनियां बैठी हैं खरीदने के इंतजार में
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पशुपालन के साथ गोबर से करें लाखों का कमाई, बायो गैस बिक रही 73 रुपए प्रति किलो, बड़ी कंपनियां बैठी हैं खरीदने के इंतजार में


आजकल गोबर से बनाई जा रही बायो CNG के बिजनेस बड़ा फल फूल रहा है, महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा, और उत्तर प्रदेश में बायो CNG प्लांट्स लगाने व इस क्षेत्र में करोड़ों की कमाई करने का शानदार मौका है। सरकार भी इस विचार का समर्थन कर रही है।

बायो CNG प्लांट क्या है?





बायो CNG प्लांट, गोबर और अन्य जैविक अपशिष्ट से मीथेन गैस उत्पादित करने के लिए डिज़ाइन किया जाता है। इस प्लांट में वीपीएसए (वेरियेबल प्रेशर स्विंग एडसोरप्शन सिस्टम) टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जाता है, जिससे गोबर को प्यूरीफाई किया जाता है और मीथेन गैस बनाई जाती है। इस गैस को कंप्रेस करके सिलेंडर में भरकर बाजार में बेचा जा सकता है.

बायो CNG के उपयोग:

वाहनों में उपयोग: बायो CNG को वाहनों के इंजन में इस्तेमाल किया जा सकता है, जो पेट्रोल और डीजल के स्थान पर आपकी गाड़ी को चलाने में मदद करता है।

घरेलू उपयोग: बायो CNG सिलेंडर घरेलू रसोई गैस सिलेंडर की तरह इस्तेमाल होता है और घरों में वसंत अंधिकृत बायो गैस सप्लाई कर सकता है.

खाद उत्पादन: बायो CNG प्लांट्स के द्वारा उत्पन्न बचा जा सकने वाला खाद किसानों के लिए एक उत्तम खाद के रूप में उपयोग किया जा सकता है, जिससे खेती में फायदा हो सकता है.


IGL खरीदती है ये गैस

बायो ऊर्जा प्लांट से उत्पादन होने वाली गैस के बड़े खरीदार इंडियन ऑयल और आईजीएल है. नेडा के परियोजना अधिकारी भजन सिंह ने बताया कि भारत सरकार की जैव ऊर्जा नीति के तहत इस प्लांट को लगाया गया है. आईजीएल और गेल कंपनी 73 रुपए प्रति किलो के बायो संयंत्रों से गैस खरीदते हैं.


सरकार का सहयोग


उत्तर प्रदेश तो कृषि अपशिष्ट आधारित बायो सीएनजी, सीबीजी (कंप्रेस्ड बायो गैस) इकाइयों लगाने के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर दे रही है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा घोषणा की गई है कि वह इस तरह की इकाइयां हर जिले में लगाएगी. किसानों और व्यापारियों को इन इकाइयों को लगाने के लिए सब्सिडी भी दी जाती है.

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