किसानों की अधिग्रहित भूमि अब होगी वापस, जानें सरकार के फैसले के पीछे की वजह!
इस समस्या के समाधान के लिए मंत्रालय एक नई नीति पर विचार कर रहा है, जिसके तहत यदि अधिग्रहित भूमि पर कोई निर्माण नहीं हुआ है और भविष्य में भी निर्माण की योजना नहीं है, तो

किसानों की अधिग्रहित भूमि होगी वापस! जानिए वजह
भारत में हाईवे और एक्सप्रेसवे नेटवर्क का तेजी से विस्तार हो रहा है, जिससे देश के एक कोने से दूसरे कोने तक सड़क मार्ग से यात्रा करना सुगम हो गया है। वर्तमान में, देशभर में कुल 1,46,145 किलोमीटर के राष्ट्रीय राजमार्ग और एक्सप्रेसवे हैं। इन परियोजनाओं के लिए सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय किसानों से भूमि अधिग्रहित करता है और उन्हें मुआवजा प्रदान करता है। हालांकि, कई बार परियोजना के अलाइनमेंट में बदलाव के कारण अधिग्रहित भूमि बिना उपयोग के रह जाती है, जिससे किसानों को मुआवजा नहीं मिल पाता और भूमि मंत्रालय के पास बेकार पड़ी रहती है।
नई भूमि वापसी नीति की आवश्यकता
इस समस्या के समाधान के लिए मंत्रालय एक नई नीति पर विचार कर रहा है, जिसके तहत यदि अधिग्रहित भूमि पर कोई निर्माण नहीं हुआ है और भविष्य में भी निर्माण की योजना नहीं है, तो ऐसी भूमि किसानों को वापस कर दी जाएगी। इससे किसानों को उनकी भूमि पुनः प्राप्त करने का अवसर मिलेगा, जो कृषि और ग्रामीण विकास में सहायक होगा।
निर्माणाधीन प्रमुख एक्सप्रेसवे परियोजनाएं
वर्तमान में देश में कई महत्वपूर्ण एक्सप्रेसवे परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं, जिनमें शामिल हैं:
- दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे (1,386 किमी)
- अहमदाबाद-धोलेरा एक्सप्रेसवे (109 किमी)
- बेंगलुरु-चेन्नई एक्सप्रेसवे (262 किमी)
- लखनऊ-कानपुर एक्सप्रेसवे (63 किमी)
- दिल्ली-अमृतसर-कटरा एक्सप्रेसवे (669 किमी)
इनमें से तीन एक्सप्रेसवे—दिल्ली-मुंबई, अहमदाबाद-धोलेरा, और बेंगलुरु-चेन्नई—इस वर्ष तैयार हो जाएंगे, जबकि लखनऊ-कानपुर और दिल्ली-अमृतसर-कटरा एक्सप्रेसवे 2026 तक तैयार होने की उम्मीद है। इन सभी एक्सप्रेसवे की कुल लंबाई 2,489 किलोमीटर है।
भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया और समस्याएं
मौजूदा प्रक्रिया के तहत, मंत्रालय परियोजना के लिए आवश्यक भूमि का अधिग्रहण करता है और किसानों को मुआवजा प्रदान करता है। हालांकि, परियोजना के अलाइनमेंट में बदलाव या अन्य कारणों से कुछ भूमि का उपयोग नहीं हो पाता, जिससे वह बेकार पड़ी रहती है और किसानों को मुआवजा नहीं मिल पाता। इससे किसानों में असंतोष बढ़ता है और भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी महसूस होती है।
नई नीति के संभावित लाभ
प्रस्तावित नई नीति से कई लाभ हो सकते हैं:
- किसानों को राहत: अधिग्रहित लेकिन अप्रयुक्त भूमि की वापसी से किसानों को उनकी संपत्ति वापस मिलेगी, जिससे उनकी आजीविका में सुधार होगा।
- पारदर्शिता में वृद्धि: भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ेगी, जिससे किसानों का विश्वास सरकार पर बढ़ेगा।
- कृषि और ग्रामीण विकास: भूमि की वापसी से कृषि कार्यों में वृद्धि होगी, जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करेगा।
सरकार की पहल और भविष्य की दिशा
सरकार इस नई नीति को जल्द ही लागू करने की दिशा में कार्यरत है। मंत्रालय ने इस पर मंथन शुरू कर दिया है और संबंधित पॉलिसी में बदलाव की तैयारी की जा रही है। इससे न केवल किसानों को लाभ होगा, बल्कि भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया में सुधार होकर विकास परियोजनाओं के क्रियान्वयन में भी तेजी आएगी।
किसानों से अधिग्रहित भूमि की वापसी की यह पहल एक सकारात्मक कदम है, जो किसानों के हितों की रक्षा करते हुए देश के बुनियादी ढांचे के विकास में संतुलन स्थापित करेगी। इससे न केवल किसानों का विश्वास बढ़ेगा, बल्कि भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया में पारदर्शिता और न्याय सुनिश्चित होगा।