किसानों की मांग: PMFBY में फसल बीमा क्लेम की तय समय सीमा की मांग
भारतीय किसान यूनियन (चढूनी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) में कवर किसानों को फसल खराब होने की स्थिति में शिकायत करने के लिए कम से कम 10 दिन का समय देने की मांग की है. उनका तर्क है कि 72 घंटे में कितनी फसल खराब हुई है या होगी, इसका आकलन नहीं किया जा सकता.
फसल खराब होने पर तात्काल क्रियावान:
जब प्राकृतिक आपदा आती है, तब किसान को खुद को बचाने के लिए क्रियावान होना पड़ता है, या फिर वह बीमा कंपनी को शिकायत करता है. गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि बीमा कंपनियों को क्लेम देने की समय सीमा तय होनी चाहिए, ताकि किसानों को पता हो कि कितने समय में क्लेम पैसे खाते में आने की संभावना है. इस विचार में आजकल ज्यादातर प्रदेशों के किसानों के साथ सहमति है.
बीमा कंपनियों पर नकेल:
चढूनी ने यह भी कहा कि बीमा कंपनियों क्लेम देने में देरी करती हैं तो किसानों को 2% ब्याज दिलाया जाना चाहिए. वह इसके साथ ही प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन की शर्त हटाने की मांग भी करते हैं.
क्लेम की ज़रूरी डॉक्यूमेंटेशन:
फसल खराब होने पर किसान को फसल खराब की निरीक्षण रिपोर्ट कॉपी मौके पर ही मिलनी चाहिए, ताकि उसे पता हो कि कमेटी ने कितने प्रतिशत नुकसान बताया है. इसके साथ ही किसान के खाते से पैसा कटते ही उसे मैसेज भेजा जाना चाहिए कि बीमा प्रीमियम कंपनी को मिल गया है.
सरकारी विभाग की भूमिका:
चढूनी ने सरकारी विभाग से भी मांग की है कि वे खुद बीमा कंपनी बनाएं और प्रदेश के किसानों की फसल का बीमा करें, ताकि सरकार का वित्तीय फायदा हो और किसानों को समय पर बीमा क्लेम मिल सके.
मौजूदा फसल की जरूरत:
अंत में, बीमा क्लेम की प्रक्रिया में बैंक के आधारित दस्तावेजों की बजाय, फसल की मौजूदगी का महत्वपूर्ण होना चाहिए. क्योंकि बैंक किसान से 5 साल में एक बार रबी और खरीफ में किसमें क्या बिजाई है, इसके दस्तावेज लेता है, जबकि किसान हर साल फसल बदलता है. इसलिए बीमा मौके पर बोए गए फसल की मौजूदगी का स्थायी होना चाहिए.