खरीफ सीजन में किसानों को मिलेगी 24 हजार करोड़ की खाद सब्सिडी: जानिए कैबिनेट के बड़े फैसले का लाभ

खरीफ सीजन के लिए मोदी सरकार की किसानों को सौगात, 24 हजार करोड़ रुपए की खाद सब्सिडी को दी मंजूरी

खरीफ सीजन में किसानों को मिलेगी 24 हजार करोड़ की खाद सब्सिडी: जानिए कैबिनेट के बड़े फैसले का लाभ
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भारत में खाद का उपयोग कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. लेकिन विश्व बाजार में खाद के दामों में तेजी से बढ़ोतरी के कारण किसानों को खाद खरीदने में कठिनाई हो रही है. इसलिए मोदी सरकार ने खरीफ सीजन के लिए किसानों को एक बड़ी राहत देते हुए 24 हजार करोड़ रुपए की खाद सब्सिडी को मंजूरी दे दी है. इससे किसानों को उर्वरकों को सस्ते दामों पर मिलने का लाभ मिलेगा और उनकी आय में भी वृद्धि होगी.

कैबिनेट ने किया तीन नए ग्रेड को शामिल

कैबिनेट ने एनबीएस योजना के तहत तीन नए उर्वरक ग्रेड को शामिल करने की मंजूरी दी है. इन ग्रेडों में नाइट्रोजन, फॉसफोरस, पोटाश और सल्फर के अनुपात अलग-अलग हैं. इन ग्रेडों का उपयोग करने से मिट्टी के पोषक तत्वों का संतुलन बना रहेगा और फसलों की उपज में भी सुधार होगा. इन ग्रेडों को भी केंद्र सरकार द्वारा सब्सिडी दी जाएगी.

खाद सब्सिडी की दरें और लाभ

खाद सब्सिडी की दरें वार्षिक या द्विवार्षिक आधार पर निर्धारित की जाती हैं. आगामी खरीफ 2024 सीजन के लिए नाइट्रोजन के लिए 47.02 रुपए प्रति किलो; फॉसफोरस के लिए 28.72 रुपए प्रति किलो; पोटाश के लिए 2.38 रुपए प्रति किलो और सल्फर के लिए 1.89 रुपए प्रति किलो सब्सिडी निर्धारित की गयी है. इसके अलावा, कुछ उर्वरकों के लिए फ्रेट सब्सिडी भी दी जाती है. इससे किसानों को उर्वरकों को पुराने रेट पर मिलने का लाभ मिलता है. उदाहरण के लिए, DAP का बैग 1,350 रुपए, NPK का बैग 1,470 रुपए और MoP का बैग 1,677 रुपए में मिलता है. इससे किसानों का खर्च कम होता है और उनकी आय में वृद्धि होती है.

डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर योजना का महत्व

खाद सब्सिडी को अधिक पारदर्शी और कुशल बनाने के लिए केंद्र सरकार ने 2018 में डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर (DBT) योजना को शुरू किया है. इस योजना के तहत, खाद सब्सिडी का भुगतान उर्वरक कंपनियों को तभी किया जाता है, जब वे उर्वरकों को किसानों को बेचते हैं. इसके लिए, हर उर्वरक विक्रेता को एक पॉइंट ऑफ सेल (PoS) मशीन दी गयी है, जो उर्वरक विभाग के ई-उर्वरक DBT पोर्टल से जुड़ी है. जब भी कोई किसान उर्वरक खरीदता है, तो उसे अपना आधार या किसान क्रेडिट कार्ड नंबर देना होता है. जब उर्वरक की बिक्री ई-उर्वरक प्लेटफॉर्म पर पंजीकृत होती है, तो ही उर्वरक कंपनी को स

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