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MP name change मध्य प्रदेश के 55 जगहों के नाम बदलने की नई लिस्ट, जानें कौन-कौन से ऐतिहासिक नाम हुए शामिल

MP name change भोपाल के संस्कृति बचाओ मंच के अध्यक्ष चंद्रशेखर तिवारी ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखते हुए कहा कि कई स्थानों के नाम आक्रांताओं की बदबू देते हैं।

MP name change : मध्य प्रदेश में जगहों के नाम बदलने की राजनीति तेज हो गई है। हाल ही में मुख्यमंत्री मोहन यादव ने 14 जगहों के नाम बदले हैं, और अब एक नई सूची में 55 और जगहों के नाम बदलने की मांग उठाई गई है। यह सूची हिंदू संगठन संस्कृति बचाओ मंच ने मुख्यमंत्री को भेजी है। संगठन का कहना है कि ये नाम आक्रांताओं की गुलामी के प्रतीक हैं और इन्हें बदलना सांस्कृतिक पुनर्जागरण का हिस्सा है।

इस विवाद का केंद्र भोपाल, रायसेन और अन्य जिलों के क्षेत्र हैं, जिनके नामों को लेकर समाज के विभिन्न वर्गों में बहस छिड़ी हुई है। सवाल यह है कि इन नामों को बदलने का आधार क्या है, और इससे क्या प्रभाव पड़ेगा?

हिंदू संगठन ने क्यों उठाई यह मांग?

भोपाल के संस्कृति बचाओ मंच के अध्यक्ष चंद्रशेखर तिवारी ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखते हुए कहा कि कई स्थानों के नाम आक्रांताओं की बदबू देते हैं। उनका कहना है कि इन नामों को बदलकर ऐसे लोगों के नाम पर रखा जाना चाहिए जिन्होंने देश का मान बढ़ाया हो। उन्होंने उदाहरण दिया कि यदि नाम रखना है तो इसे शहनाई वादक बिस्मिल्ला खां या पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के नाम पर रखा जा सकता है।

तिवारी ने यह भी पूछा कि औरंगजेब, जहांगीर और शाहजहां कौन थे और उनके नाम पर जगहों का नाम क्यों रखा गया? उन्होंने कहा कि यह हमारी सांस्कृतिक अस्मिता पर सवाल उठाने जैसा है।

सूची में किन जगहों के नाम शामिल?

मुख्यमंत्री को भेजी गई सूची में भोपाल और रायसेन जिलों के कई क्षेत्रों के नाम शामिल हैं। इनमें प्रमुख नाम हैं:

  • भोपाल: शाहजहांनाबाद, पीरगेट, जहांगीराबाद, ईदगाह हिल्स, हलाली डैम, बरखेड़ी, पिपलिया जाहर पीर, मुबारकपुर।
  • रायसेन: गोहरगंज, नीरगंज, बेगमगंज, गैरतगंज, औबेदुल्लागंज और सुल्तानपुर।

मुख्यमंत्री ने अब तक किन नामों को बदला?

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने हाल ही में 14 क्षेत्रों के नाम बदलने का फैसला किया है। इनमें उज्जैन और शाजापुर जिलों के नाम शामिल हैं।

  • उज्जैन: गजनी खेड़ी को मां चामुंडा नगरी, जहांगीरपुर को जगदीशपुर और मौलाना को विक्रम नगर।
  • शाजापुर: मोहम्मदपुर मछनाई को मोहनपुर, ढाबला हुसैनपुर को ढाबला राम, हाजीपुर को हीरापुर।

क्यों बदले जा रहे हैं नाम?

नाम बदलने के पीछे का मुख्य तर्क यह है कि ये नाम गुलामी और विदेशी आक्रांताओं की पहचान कराते हैं। हिंदू संगठनों का कहना है कि यह देश की सांस्कृतिक धरोहर को नया रूप देने का प्रयास है।

राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रिया

इस फैसले पर विपक्षी दलों ने कड़ी आलोचना की है। उनका कहना है कि सरकार असली मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए नाम बदलने की राजनीति कर रही है। दूसरी ओर, कई समाजशास्त्रियों का मानना है कि नाम बदलने से समाज की सोच और इतिहास को एक नया आयाम मिल सकता है।

उज्जैन में अंडा गली और बेगम बाग का मामला

कुछ दिन पहले उज्जैन में महाकाल मंदिर के पुजारी और भाजपा सांसद अनिल फिरोजिया ने तीन क्षेत्रों के नाम बदलने की मांग की थी। इसमें अंडा गली, बेगम बाग जैसे क्षेत्रों का नाम बदलने की बात कही गई।

नाम बदलने का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व

नाम केवल पहचान का माध्यम नहीं होते, वे इतिहास और संस्कृति का प्रतीक भी होते हैं। इसीलिए, जब किसी क्षेत्र का नाम बदला जाता है, तो वह न केवल प्रशासनिक बदलाव है बल्कि समाज में एक नई सोच का प्रतिबिंब भी है।

क्या है जनता की राय?

जनता में इस मुद्दे पर मिली-जुली प्रतिक्रिया है। कुछ लोग इसे संस्कृति का पुनर्जागरण मानते हैं, तो कुछ इसे अनावश्यक विवाद करार देते हैं।

क्या नाम बदलने से होगा कोई प्रभाव?

विशेषज्ञों का मानना है कि नाम बदलने से क्षेत्र की पहचान और इतिहास पर गहरा असर पड़ता है। यह कदम प्रशासनिक सुधार से ज्यादा सांस्कृतिक पुनर्निर्माण की ओर इशारा करता है।

भविष्य की संभावनाएं

यदि सरकार इस नई सूची को स्वीकार करती है, तो आने वाले समय में भोपाल और रायसेन जैसे जिलों के कई क्षेत्रों के नाम बदले जा सकते हैं। यह प्रक्रिया राज्य की राजनीति और समाज में एक नई दिशा तय करेगी।

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