अब 5 अगस्त तक कर सकते हैं किसान फसल बीमा के लिए आवेदन, बाजरा, ज्वार, ग्वार, तिल, मूंग, कपास और धान के लिए मिलेगा इतना मुआवजा

इस बार किसानों के लिए खुशियां कम हो सकती हैं क्योंकि अधिसूचना जारी करने में देरी होने से किसानों को बीमा करवाने के लिए सिर्फ 10 दिन का समय बचा है।

अब 5 अगस्त तक कर सकते हैं किसान फसल बीमा के लिए आवेदन, बाजरा, ज्वार, ग्वार, तिल, मूंग, कपास और धान के लिए मिलेगा इतना मुआवजा
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अब 5 अगस्त तक कर सकते हैं किसान फसल बीमा के लिए आवेदन, बाजरा, ज्वार, ग्वार, तिल, मूंग, कपास और धान के लिए मिलेगा इतना मुआवजा

फसल बीमा योजना के अधिसूचना के अनुसार, राजस्थान के खरीफ सीजन 2023 और रबी सीजन 2023-24 के लिए फसल बीमा के प्रावधान जारी किए गए हैं। लेकिन इस बार किसानों के लिए खुशियां कम हो सकती हैं क्योंकि अधिसूचना जारी करने में देरी होने से किसानों को बीमा करवाने के लिए सिर्फ 10 दिन का समय बचा है।

अधिसूचना जारी होने की देरी के पीछे के कारण

जिला महामंत्री रामेश्वरलाल पूनिया ने बताया कि फसल बीमा योजना की अधिसूचना सामान्यतः जारी होने के समय से एक माह से भी अधिक देरी से जारी हुई है। इस देरी के कारण किसानों को बीमा करवाने के लिए केवल 10 दिन का समय मिला है जो काफी कम है। बीमा कंपनी और सरकार की सोच यह है कि देरी से अधिसूचना जारी होने के कारण इनको लाभ मिल नहीं सके।

बीमा योजना के लिए लास्ट डेट बढ़ी

कृषि विभाग के कृषि पर्यवेक्षक सांवरमल जाखड़ ने बताया कि फसल बीमा की लास्ट डेट 31 जुलाई से बढ़ा कर अब ऋणी किसानों के बीमा के लिए प्रीमियम कटौती पॉलिसी निर्माण की 10 अगस्त तक, अऋणी किसान के लिए 5 अगस्त तक बढ़ा दी गई है। यह बदलाव किसानों को बीमा करवाने के लिए थोड़ा और समय देगा, लेकिन फिर भी सिर्फ 10 दिन का समय बचेगा।

बीमित राशि कैसे तय होगी

फसलों की बीमित राशि पिछले सात सालों में से श्रेष्ठ उत्पादन वाले 5 सालों की औसत उपज को समर्थन मूल्य/बाजार मूल्य से गुणा करने पर ज्ञात राशि के अनुसार तय की जाएगी। खरीफ सीजन में चुरू में 8 और सरदारशहर में 7 फसलें शामिल होंगी। इनमें बाजरा, मूंग, मोठ, तिल, मूंगफली, कपास, और ग्वार की फसलें शामिल हैं।

इस तरह, फसल बीमा योजना के अंतर्गत किसानों को उनकी फसलों के बीमा करवाने के लिए जिम्मेदारी दी जा रही है, लेकिन देरी से जारी होने से किसानों को सिर्फ 10 दिन का समय दिया गया है जो उनके लिए काफी कम है। इसलिए, उन्हें शीघ्रता से अपनी बीमा पॉलिसी बनवाने की सलाह दी जाती है ताकि वे बाढ़, सूखा, या अन्य परिवर्तनों के कारण फसल की नुकसान से बच सकें।

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