अब मालामाल होंगे किसान! फिर शुरू होंगे 50 साल पुराने बंद पड़े डैम, गंगा का मिलेगा पानी

अब मालामाल होंगे किसान! फिर शुरू होंगे 50 साल पुराने बंद पड़े डैम, गंगा का मिलेगा पानी
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अब मालामाल होंगे किसान! फिर शुरू होंगे 50 साल पुराने बंद पड़े डैम, गंगा का मिलेगा पानी

खेत खजाना : पटना, बिहार के कई डैम और बराज जो 50 साल से अधिक पुराने हैं, उन्हें अब गंगा का जल लाकर नया जीवन दिया जाएगा. इससे न केवल इन डैमों की जलग्रहण क्षमता बढ़ेगी, बल्कि खेतों तक पानी की आपूर्ति भी सुधरेगी. इस परियोजना के लिए बिहार सरकार ने 4415 करोड़ रुपए का बजट तैयार किया है, जिसमें से 3090.50 करोड़ विश्व बैंक से लिया जाएगा. इस परियोजना को सात निश्चय-2 का हिस्सा बनाया गया है, जिसका उद्देश्य है ‘जल-जीवन- हरियाली व हर खेत तक सिंचाई का पानी’.

बिहार में कुल 107 डैम हैं, जिनमें से 25 डैम 50 साल से अधिक पुराने हैं. इनमें से कुछ डैम तो इतने जर्जर हो गए हैं कि उनमें पानी भरने की बजाय उनसे पानी निकल जाता है. इन डैमों की जलग्रहण क्षमता भी जलवायु परिवर्तन के कारण कम हो गई है. लखीसराय के मोरवे, बासकुंड और जमुई के आंजन डैम तो पिछले तीन साल में 35% ही पानी भर पाए हैं. इससे इन डैमों के नीचे के क्षेत्रों में सिंचाई की समस्या बढ़ गई है. इसके अलावा, इन डैमों के निकट के गांवों में भू-गर्भ जल का स्तर भी गिर गया है.

इन सभी समस्याओं को दूर करने के लिए, बिहार सरकार ने एक नई परियोजना शुरू की है, जिसके तहत गंगा का जल इन डैमों में लिफ्ट करके भरा जाएगा. इससे इन डैमों को नया जीवन मिलेगा और उनकी जलग्रहण क्षमता भी बढ़ेगी. इसके साथ ही, इन डैमों से निकलने वाला पानी खेतों तक पहुंचाया जाएगा, जिससे किसानों को सिंचाई का पानी मिलेगा. इससे

इस परियोजना को पूरा करने के लिए बिहार सरकार ने 4415 करोड़ रुपए का बजट तैयार किया है, जिसमें से 3090.50 करोड़ विश्व बैंक से लिया जाएगा. इसके लिए केंद्र सरकार की मंजूरी भी मिल चुकी है. बाकी का 1324.50 करोड़ रुपए अपने संसाधनों से सरकार जुटाएगी. इस परियोजना को 6 साल में पूरा किया जाएगा.

इस परियोजना के लाभ न केवल डैमों और किसानों को ही मिलेंगे, बल्कि पूरे राज्य को भी मिलेंगे. इस परियोजना के तहत, बाढ़, जलस्राव, मॉनसून और खेती इत्यादि की मॉनीटरिंग के लिए आधुनिक डाटा सेंटर भी बनेगा. साथ ही नहरों के कमांड क्षेत्र की वितरणियां भी सुधरेंगी. सबसे बड़ा काम पश्चिमी कोसी और सोन नहर के पुनरुद्धार का भी होगा. इससे राज्य की जल संसाधन प्रबंधन व्यवस्था मजबूत होगी.

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