किसानों के जख्म भरने वाली है सरकार, मिलेगा 4 लाख 8 हजार एकड़ फसल खराबी का मुआवजा, सरकार ने तारीख की जारी

हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यन्त चौटाला ने बाढ़ और भारी बारिश के परिणामस्वरूप बर्बाद हो चुकी फसलों के लिए किसानों के खातों में मुआवजा भेजने की घोषणा की है।

किसानों के जख्म भरने वाली है सरकार, मिलेगा 4 लाख 8 हजार  एकड़ फसल खराबी का मुआवजा, सरकार ने तारीख की जारी
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किसानों के जख्म भरने वाली है सरकार, मिलेगा 4 लाख 8 हजार एकड़ फसल खराबी का मुआवजा, सरकार ने तारीख की जारी

हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यन्त चौटाला ने बाढ़ और भारी बारिश के परिणामस्वरूप बर्बाद हो चुकी फसलों के लिए किसानों के खातों में मुआवजा भेजने की घोषणा की है। यह उन्होंने किसानों के हित में नई नीतियों के साथ आए इनिशिएटिव का हिस्सा है।

बाढ़ और भारी बारिश के प्रभाव:

बाढ़ और भारी बारिश के कारण यमुना से सटे क्षेत्रों में बहुतायत में खेतों की जमीन कट जाती है, जिससे किसानों की फसलों में नुकसान होता है। यह समस्या खासकर यमुनानगर, करनाल, पानीपत, सोनीपत, पलवल, और फरीदाबाद जैसे जिलों में दिखाई देती है।

नई नीतियाँ और उपाय:

उपमुख्यमंत्री द्वारा घोषित की गई नई नीतियाँ किसानों के लिए बड़ी सहायता साबित हो सकती हैं। इनमें से एक प्रतिपूरक सहायकों की शुरुआत करना है, जिससे फसल के नुकसान का समय पर आकलन हो सके। दूसरे, भारी वर्षा या गैर-बाढ़ वाले क्षेत्रों में फीडरों की सहायता के लिए आवश्यकतानुसार फीडर स्थापित किए जाएंगे।

मुआवजा योजना:

इस नई योजना के तहत, किसानों के खेतों में एकत्रित गाद की नीलामी की जाएगी। इससे किसानों को उनकी नुकसान की राशि भुगतान करने में सहायता मिलेगी।

वर्तमान सरकार ने प्रभावित लोगों को मुआवजा देने के लिए राज्य में पहली बार बाढ़ की घोषणा की है. उन्होंने कहा कि हाल की बाढ़ के दौरान करीब 1475 गांवों में बाढ़ आ गयी है. दुष्यंत चौटाला ने आगे कहा कि बाढ़ से प्रदेश में करीब 4 लाख 8 हजार एकड़ फसल खराब हो गई है.

इस योजना के तहत किसान के खेत में एकत्रित गाद की नीलामी की जाएगी जिसमें 10 लाख रुपये तक की एक तिहाई राशि किसान की होगी और दो तिहाई सरकार के खाते में जाएगी. इस नीति से किसानों और सरकार दोनों को फायदा होगा। उन्होंने कहा कि ऐसी नीति बनाने वाला हरियाणा देश का पहला राज्य है।


यह उद्यमिता हरियाणा सरकार के लिए महत्वपूर्ण कदम है, जो किसानों की मदद के लिए नए उपायों का प्रस्ताव कर रही है। इससे किसानों के प्रति सरकार की संवेदनाएँ स्पष्ट दिखती हैं और वे आसानी से अपनी बाढ़-बर्बाद हुई फसलों की तय कर सकते हैं।

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