वाराणसी: बिजली निगम का अत्याचार, पांच साल पहले कटा कनेक्शन, फिर भी भेजा 1.85 लाख का बिल
वाराणसी: बिजली निगम का अत्याचार, पांच साल पहले कटा कनेक्शन, फिर भी भेजा 1.85 लाख का बिल
खेत खजाना, वाराणसी के राजातालाब क्षेत्र के कचनार गांव में बिजली निगम का अत्याचार सामने आया है। एक ऐसे उपभोक्ता को बिजली बिल भेजा गया है, जिसकी पांच साल पहले ही मौत हो गई थी और उसका कनेक्शन भी कटवा दिया गया था। बिल देखकर उसके परिजनों का खून खौल गया है। वे बिजली निगम के खिलाफ शिकायत करने की तैयारी में हैं।
बताया जा रहा है कि राजातालाब क्षेत्र के कचनार गांव में रहने वाले बाबूलाल गुप्ता का करीब पांच साल पहले निधन हो गया था। उनके बेटे राजकुमार ने बताया कि उनके पिता के नाम से जो बिजली कनेक्शन था, उसका सारा बकाया बिल उन्होंने उसी समय जमा कर दिया था। उन्होंने बिजली निगम को लिखित आवेदन भी दिया था कि उनका कनेक्शन स्थायी रूप से कटवा दिया जाए।
लेकिन पांच साल बाद अब बिजली निगम ने उनके पिता के नाम से एक लाख 85 हजार 269 रुपये का बिल भेज दिया है। बिल में लिखा है कि यह बिल अप्रैल 2023 से फरवरी 2024 तक का है। बिल देखकर राजकुमार और उनके परिवार के सदस्य हैरान हो गए हैं। उन्होंने कहा कि यह बिल गलत है और उन्हें इसका कोई भुगतान नहीं करना चाहिए।
राजकुमार ने बिजली निगम के अधिकारियों को इस मामले के बारे में बताया। उन्होंने उनसे बिल को रद्द करने और उनके पिता के नाम से कनेक्शन को हटाने की मांग की। लेकिन बिजली निगम के अधीक्षण अभियंता ग्रामीण विजयराज सिंह ने कहा कि उन्हें ऐसी कोई शिकायत नहीं मिली है। उन्होंने कहा कि वे बिल को जांचेंगे और अगर कोई गलती हुई है तो उसका सुधार करेंगे।
वहीं, बिजली निगम के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यह बिल ऑनलाइन सिस्टम के द्वारा भेजा गया है। उन्होंने कहा कि कभी-कभी ऑनलाइन सिस्टम में गड़बड़ी हो जाती है और ऐसे बिल भेज दिए जाते हैं। उन्होंने कहा कि उपभोक्ताओं को ऐसे बिलों को गंभीरता से नहीं लेना चाहिए और बिजली निगम के कार्यालय में जाकर अपनी समस्या का समाधान करवाना चाहिए।
इस तरह, बिजली निगम का कारनामा उजागर हुआ है। यह एक ऐसा मामला है, जिसमें बिजली निगम ने एक मृत व्यक्ति को बिल भेजकर उसके परिजनों को परेशान किया है। इससे बिजली निगम की लापरवाही और अक्षमता का पता चलता है। बिजली निगम को इस मामले में जल्द से जल्द उचित कार्रवाई करनी चाहिए और उपभोक्ताओं को नुकसान पहुंचाने वाले अधिकारियों को सजा देनी चाहिए।