क्या है न्यूनतम समर्थन मूल्य जिसकी मांग पर अड़े किसान, यह किन फसलों पर मिलती है और कैसे होती है तय?

न्यूनतम समर्थन मूल्य
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न्यूनतम समर्थन मूल्य

एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, जिसके लिए वे दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे हैं। एमएसपी वह निश्चित मूल्य है, जिस पर सरकार और उसकी एजेंसियां किसानों से खाद्यान्न खरीदती हैं। इससे किसानों को उनकी उपज का न्यायपूर्ण दाम मिलता है और बाजार में कीमतों के उतार-चढ़ाव से बचा जाता है। लेकिन केंद्र सरकार एमएसपी पर कानून बनाने से कतराती है, क्योंकि इससे उसके खर्च बढ़ेंगे और बाजार की आजादी प्रभावित होगी। इस लेख में हम एमएसपी के राजनीतिक और आर्थिक महत्व को समझने की कोशिश करेंगे।

एमएसपी क्या है और कैसे तय होती है?

एमएसपी का मतलब है कि किसान की उपज की एक न्यूनतम कीमत तय करना। फसल बोते समय यह तय किया जाता है कि कटाई के बाद उपज की बाजार में किस कीमत पर बिक्री होगी। एमएसपी एक तरह से इस बात की गारंटी होती है कि किसान को उसकी उपज का दाम तय कीमत से कम नहीं मिलेगा, फिर भले ही बाजार में कीमत गिर गई हो।

एमएसपी की गणना केंद्र सरकार के कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) द्वारा की जाती है। CACP हर साल खरीफ और रबी सीजन से पहले 24 फसलों के लिए एमएसपी की सिफारिश करता है। इन फसलों में अनाज, मोटे अनाज और दालें जैसे खाद्यान्न शामिल हैं। CACP एमएसपी की सिफारिश करते समय कई कारकों को ध्यान में रखता है, जैसे कि फसल की लागत, बाजार की मांग, भारतीय और विश्व की कीमतें, भंडारण और परिवहन की लागत, उपभोक्ता की आय और खर्च, खाद्य सुरक्षा और आयात-निर्यात की नीतियां।

एमएसपी की सिफारिश CACP करता है, लेकिन इसे अंतिम रूप देने का अधिकार केंद्रीय कृषि मंत्रालय के पास है। केंद्रीय कृषि मंत्रालय एमएसपी को कृषि उत्पादों के विपणन और गुणवत्ता नियंत्रण के लिए एक समिति (CCEA) के सामने रखता है, जो इसे मंजूरी देता है। CCEA में केंद्रीय मंत्रियों का एक समूह होता है, जो केंद्रीय कैबिनेट के अधीन काम करता है।

एमएसपी के लिए किसानों की मांग क्या है?

किसानों की मांग है कि एमएसपी को कानूनी रूप से बाध्यकारी बनाया जाए, ताकि वे अपनी फसल को एमएसपी से कम कीमत पर न बेचने पड़े। वे चाहते हैं कि अगर कोई भी व्यापारी या अन्य खरीदार उनसे एमएसपी से कम कीमत पर फसल खरीदता है, तो उसे दंडित किया जाए। वे यह भी चाहते हैं कि सरकार उनकी फसल को एमएसपी पर खरीदने के लिए निरंतर तैयार रहे।


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