गेहूं का Wheat MSP price : सरसों और तिलहन में ₹300 का बंपर इजाफा, किसानों को बड़ी राहत!
Wheat MSP price सरकार ने इस बार रबी फसलों के लिए ऐतिहासिक बढ़ोतरी की है। इसमें गेहूं, जौ, चना, मसूर, सरसों और कुसुम शामिल हैं। नई MSP और पुरानी MSP का अंतर इस प्रकार है:

नई दिल्ली: आपको बता दे की केंद्र सरकार ने 16 अक्टूबर को हुई कैबिनेट बैठक में रबी की 6 प्रमुख फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) बढ़ाने का ऐलान किया था। इस निर्णय से देश के करोड़ों किसानों को राहत मिलेगी। गेहूं की MSP में 150 रुपए प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी हुई है, जिससे इसका नया दाम 2,425 रुपए क्विंटल हो गया है। सरसों-तिलहन की कीमतों में 300 रुपए तक का इजाफा हुआ है। यह फैसला किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारने और फसल उत्पादन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लिया गया।
गेहूं और अन्य फसलों की नई MSP
सरकार ने इस बार रबी फसलों के लिए ऐतिहासिक बढ़ोतरी की है। इसमें गेहूं, जौ, चना, मसूर, सरसों और कुसुम शामिल हैं। नई MSP और पुरानी MSP का अंतर इस प्रकार है:
फसल | नई MSP (₹/क्विंटल) | पुरानी MSP (₹/क्विंटल) | अंतर (₹) |
---|---|---|---|
गेहूं | 2,425 | 2,275 | 150 |
जौ | 1,980 | 1,850 | 130 |
चना | 5,650 | 5,440 | 210 |
मसूर | 6,700 | 6,425 | 275 |
सरसों-तिलहन | 5,950 | 5,650 | 300 |
कुसुम | 5,940 | 5,800 | 140 |
किसानों के लिए MSP का महत्व
MSP (मिनिमम सपोर्ट प्राइस) वह न्यूनतम गारंटीड मूल्य है, जो किसानों को उनकी फसलों पर मिलता है, चाहे बाजार में कीमतें कितनी भी गिर जाएं। इसका उद्देश्य किसानों को बाजार के उतार-चढ़ाव से बचाना है। सरकार हर फसल सीजन से पहले कमीशन फॉर एग्रीकल्चर कॉस्ट एंड प्राइसेस (CACP) की सिफारिशों के आधार पर MSP तय करती है।
रबी फसलों की बुआई और कटाई का समय
रबी की फसलें आमतौर पर अक्टूबर-नवंबर के लौटते मानसून में बोई जाती हैं और अप्रैल के गर्मी के मौसम में काटी जाती हैं। ये फसलें बारिश पर निर्भर नहीं रहतीं। गेहूं, सरसों, चना, मटर और जौ रबी की प्रमुख फसलें हैं। इस बार सरकार ने MSP बढ़ाकर किसानों को प्रोत्साहित करने का प्रयास किया है।
MSP बढ़ाने के पीछे सरकार का उद्देश्य
सरकार का यह कदम किसानों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करने और कृषि क्षेत्र को मजबूती देने के लिए है। खासतौर पर सरसों और तिलहन की कीमतों में वृद्धि से तेल उत्पादन बढ़ाने का प्रयास किया गया है। इसके अलावा, चने और मसूर की बढ़ती मांग को देखते हुए इनकी कीमतें भी बढ़ाई गई हैं।
बाजार पर MSP का प्रभाव
MSP में वृद्धि से फसल की कीमतों पर सकारात्मक असर पड़ता है। यदि बाजार में किसी फसल की अधिक पैदावार होती है और कीमतें गिरती हैं, तो MSP किसानों के लिए एक फिक्स एश्योर्ड प्राइस का काम करती है। यह कीमत गिरने की स्थिति में किसानों के लिए बीमा पॉलिसी की तरह है।
केंद्रीय कर्मचारियों के लिए खुशखबरी
कैबिनेट बैठक में केंद्रीय कर्मचारियों के महंगाई भत्ते (DA) में 3% वृद्धि का भी ऐलान हो सकता है। इससे DA 50% से बढ़कर 53% हो जाएगा। इसका लाभ करीब 52 लाख कर्मचारियों और 60 लाख पेंशनर्स को मिलेगा।
MSP से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य
- MSP में 23 फसलें शामिल हैं:
- 7 अनाज: धान, गेहूं, मक्का, बाजरा, ज्वार, रागी, जौ।
- 5 दालें: चना, अरहर, मूंग, मसूर, उड़द।
- 7 तिलहन: सरसों, मूंगफली, सोयाबीन, सूरजमुखी, तिल, कुसुम, निगरसीड।
- 4 व्यावसायिक फसलें: कपास, गन्ना, खोपरा, जूट।
किसानों की प्रतिक्रिया
किसानों ने इस निर्णय का स्वागत किया है। उनका कहना है कि सरसों और चने की MSP बढ़ने से उन्हें बड़ी राहत मिलेगी। हालांकि, कुछ किसानों ने जौ और कुसुम की कीमतों में कम वृद्धि पर निराशा व्यक्त की है।
क्या है आगे की रणनीति?
सरकार अब किसानों को फसल बीमा योजनाओं और सब्सिडी से भी लाभान्वित करने की योजना बना रही है। इसके अलावा, रबी फसलों की उत्पादकता बढ़ाने के लिए सिंचाई योजनाओं पर जोर दिया जाएगा।
केंद्र सरकार का यह कदम न केवल किसानों की आय बढ़ाने में मदद करेगा, बल्कि देश की कृषि अर्थव्यवस्था को भी मजबूती देगा। MSP में वृद्धि का सीधा लाभ छोटे और मध्यम वर्ग के किसानों को मिलेगा, जो देश की कृषि संरचना की रीढ़ हैं।