गुलाबी सुंडी से बचाव के लिए राजस्थान में 124 गांवों में कार्यशालाएं

गुलाबी सुंडी कपास की एक खतरनाक बीमारी है, जो फसल को बर्बाद कर देती है। इसके नियंत्रण और प्रबंधन के लिए राजस्थान में 124 ग्राम पंचायतों में कार्यशालाएं आयोजित की जा रही हैं। इन कार्यशालाओं में किसानों, विक्रेताओं, जिनिंग मिल मालिकों और वैज्ञानिकों को गुलाबी सुंडी के बारे में विस्तृत जानकारी दी जाएगी।

गुलाबी सुंडी से बचाव के लिए राजस्थान में 124 गांवों में कार्यशालाएं
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गुलाबी सुंडी क्या है?

गुलाबी सुंडी एक प्रकार का कीट है, जो कपास के फूलों और बोलों में अंडे देता है। इन अंडों से निकले लार्वे कपास के रेशे को खा जाते हैं, जिससे फसल की उत्पादकता और गुणवत्ता में कमी आती है। गुलाबी सुंडी के प्रकोप से किसानों को हर साल करोड़ों रुपये का नुकसान होता है।

गुलाबी सुंडी से कैसे बचें?

गुलाबी सुंडी से बचाव के लिए कुछ आसान और प्रभावी उपाय हैं, जिन्हें किसानों को अपनाना चाहिए। इनमें से कुछ हैं:

- किसानों को अपनी खेतों में बीटी कॉटन की ही बुवाई करनी चाहिए, जो गुलाबी सुंडी के प्रति प्रतिरोधी होती है। बीटी कॉटन के बीज को विश्वसनीय स्त्रोत से ही खरीदना चाहिए, और नकली बीज से बचना चाहिए।

- किसानों को अपनी खेतों को नियमित रूप से जांचना चाहिए, और गुलाबी सुंडी के लक्षणों को पहचानना चाहिए। यदि किसी भी फूल या बोल में गुलाबी सुंडी के अंडे या लार्वे का पता चले, तो उसे तुरंत निकालकर जला देना चाहिए।

- किसानों को अपनी खेतों के आस-पास फैरोमेन ट्रैप या पतंगे ट्रैप लगाना चाहिए, जो गुलाबी सुंडी के पतंगों को फंसाते हैं, और उनकी गिनती करते हैं। इससे किसानों को कीट के प्रभाव का अंदाजा लगाने में मदद मिलती है, और उन्हें कीटनाशक का उचित उपयोग करने में सहायता मिलती है।

- किसानों को अपनी फसल को उचित समय पर काटना चाहिए, और बीटी कॉटन की लकड़ियों और अवशेषों को नष्ट करना चाहिए। इससे गुलाबी सुंडी के पतंगों को अगले साल के लिए आश्रय नहीं मिलता, और उनका प्रकोप कम होता है।

- किसानों को अपने आस-पास के जिनिंग मिलों से संपर्क रखना चाहिए, और उन्हें अपनी फसल की गुणवत्ता और मूल्य का ध्यान रखना चाहिए। जिनिंग मिलों के मालिकों को भी अपने मिलों में बीटी कॉटन के रेशों और बिनौले को समय पर नष्ट करना चाहिए, और गुलाबी सुंडी के प्रभाव को रोकने के लिए सावधानी बरतनी चाहिए।

गुलाबी सुंडी के बारे में और जानें

गुलाबी सुंडी से बचाव के लिए राजस्थान में 124 गांवों में कार्यशालाएं आयोजित की जा रही हैं,

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