सरकार खेल रही किसानों के साथ आंख मिचौली, सरसों मंदी, लेकिन गेहूं ने लगाई मोटी छलांग, भाव पहुंचे 3,000 रुपए प्रति क्विंटल के करीब

अगर सरकार ने आयात शुल्क कम नहीं किया, तो आने वाले दिनों में गेहूं की कीमतें फिर से बढ़ सकती हैं।

सरकार खेल रही किसानों के साथ आंख मिचौली, सरसों मंदी, लेकिन गेहूं ने लगाई मोटी छलांग, भाव पहुंचे 3,000 रुपए प्रति क्विंटल के करीब
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सरकार खेल रही किसानों के साथ आंख मिचौली, सरसों मंदी, लेकिन गेहूं ने लगाई मोटी छलांग, भाव पहुंचे 3,000 रुपए प्रति क्विंटल के करीब

दिवाली और दशहरा सीजन के कारण गेहूं की कीमतें बढ़ गई हैं। त्योहारी सीजन के चलते गेहूं की मांग बढ़ जाती है, जिससे गेहूं के रेट बढ़ जाते है। इसका असर सामान्य लोगों पर पड़ रहा है, जब वे खाद्य तेल और दाल जैसे आवश्यक खाद्यान्नों की खरीदारी करते हैं।

सरकार के प्रयास:

सरकार ने गेहूं की कीमतें कम करने के लिए कई कदम उठाए हैं, जैसे कि स्टॉक सीमा, निर्यात प्रतिबंध, और खुले बाजार में गेहूं की बिक्री। उन्होंने मुक्त आयात के माध्यम से गेहूं की कीमतों को कम करने की भी कोशिश की है।

मंडियों में गेहूं के रेट:

यदि हम मंडियों में गेहूं की औसत कीमतों की ओर देखें, तो विभिन्न राज्यों में यह कीमतें भिन्न-भिन्न हैं। निम्नलिखित मंडियों में गेहूं की औसत कीमतें हैं:

मंडी औसत कीमत (प्रति किलोग्राम)

कंडी मंडी 2360 रुपये

कोटा मंडी 2575 रुपये

बूंदी मंडी 2455 रुपये

बांरा मंडी 2600 रुपये

ध्रोल मंडी 2300 रुपये

महोबा मंडी 2290 रुपये

फैजाबाद मंडी 2340 रुपये

लालसोट मंडी 2300 रुपये

प्रतापगढ़ मंडी 2438 रुपये

क्या आने वाले दिनों में गेहूं का रेट बढ़ सकता है?

बाजार विशेषज्ञों के मुताबिक, अगर सरकार ने आयात शुल्क कम नहीं किया, तो आने वाले दिनों में गेहूं की कीमतें फिर से बढ़ सकती हैं। यह विशेषकर चुनाव और त्योहारी सीजन के कारण हो रहा है, जब गेहूं की मांग अधिक होती है और उसके रेट बढ़ जाते हैं।


चुनावी माहौल

विधानसभा चुनाव नजदीक होने के कारण गेहूं की बढ़ती महंगाई सरकार के लिए चिंता का विषय है। देश में पांच राज्यों में चुनाव होने के कारण अटकलें लगाई जा रही हैं कि WHO गेहूं की बिक्री भी बढ़ा सकता है। गेहूं आयात शुल्क हटा सकता है लेकिन कोई अपडेट नहीं है। इस संबंध में सरकार की ओर से जारी किया गया है. ये सिर्फ अटकलें हैं

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