इंदौर मंडी भाव: दाल और बेसन के रेट कमजोर, चने की MSP बढ़े की उम्मीद, जाने ताज़ा भाव

इंदौर मंडी भाव: दाल और बेसन के दामों में कमी, चने की MSP में बढ़ोतरी की उम्मीद, जानिए ताज़ा मंडी भाव"

इंदौर मंडी भाव: दाल और बेसन के रेट कमजोर, चने की MSP बढ़े की उम्मीद, जाने ताज़ा भाव
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इंदौर मंडी के ताज़ा मंडी भाव के साथ एक नजर

भारतीय खाद्य व्यवस्था में दाल और बेसन का महत्वपूर्ण स्थान है, लेकिन वर्तमान में चना दाल और बेसन में ग्राहकों की कमी के कारण इंदौर मंडी में दबाव बढ़ गया है। नाफेड ने भारत की दाल ब्रांड चना दाल की बिक्री पर काफी बुरा प्रभाव डाला है, और इसके परिणामस्वरूप चने के दामों में कमी देखने को मिल रही है। इसके साथ ही, कुछ राज्य सरकारें भी मासिक रूप से एक किलो चना दाल उपलब्ध कराती हैं, जिससे चने की बाजार में संथा बढ़ गई है। इस लेख में, हम आपको इंदौर मंडी के ताज़ा मंडी भाव के बारे में जानकारी प्रदान करेंगे, ताकि आप दाल और बेसन के विपणन के लिए सही समय पर निर्णय ले सकें।

चना दाल के ताज़ा मंडी भाव:

प्रकार

मूल्य प्रति क्विंटल

(40/42)

16,600 रुपये

(42/44)

16,400 रुपये

(44/46)

16,200 रुपये

(58/60)

14,800 रुपये

(60/62)

14,700 रुपये

(62/64)

14,600 रुपये

मसूर दाल के ताज़ा मंडी भाव:

· 7,700-7,800 रुपये प्रति क्विंटल (मानक)

· 7,900-8,000 रुपये प्रति क्विंटल (बेस्ट)

मूंग दाल के ताज़ा मंडी भाव:

· 10,700-10,800 रुपये प्रति क्विंटल (मानक)

· 10,900-11,000 रुपये प्रति क्विंटल (बेस्ट)

तुवर दाल के ताज़ा मंडी भाव:

· 13,500-13,600 रुपये प्रति क्विंटल

· 14,400-14,500 रुपये प्रति क्विंटल (मीडियम)

· 14,900-15,100 रुपये प्रति क्विंटल (बेस्ट)

· 16,000-16,100 रुपये प्रति क्विंटल (ए. बेस्ट)

· 16,500 रुपये प्रति क्विंटल (ब्रांडेड तुवर दाल)

उड़द दाल के ताज़ा मंडी भाव:

· 10,500-10,600 रुपये प्रति क्विंटल

· 10,700-10,800 रुपये प्रति क्विंटल (बेस्ट)

· 11,000-11,100 रुपये प्रति क्विंटल (उड़द मोगर)

· 11,200-11,300 रुपये प्रति क्विंटल (बेस्ट)

चावल के ताज़ा मंडी भाव:

प्रकार

मूल्य प्रति क्विंटल

बासमती (921)

11,500 से 12,500 रुपये

तिबार

9,500 से 10,000 रुपये

बासमती दुबार पोनिया से

8,500 से 9,000 रुपये

मिनी दुबार

7,500 से 8,000 रुपये

मोगरा

4,200 से 6,500 रुपये

बासमती सेला

7,000 से 9,500 रुपये

कालीमूंछ डिनरकिंग

8,500 रुपये

राजभोग

7,500 रुपये

दुबराज

4,500 से 5,000 रुपये

परमल

3,200 से 3,400 रुपये

हंसा सेला

3,400 से 3,600 रुपये

हंसा सफेद

2,800 से 3,000 रुपये

पोहा

4,300 से 4,800 रुपये

चना दाल और अन्य दालों के भाव में कमी के कारण दाल उत्पादकों पर दबाव बढ़ रहा है, लेकिन सरकारी मिनिमम सपोर्ट प्राइस (MSP) की बढ़ोतरी से कुछ उम्मीदें बढ़ गई हैं।

चने की MSP में बढ़ोतरी:

· चने की MSP को अब 55 से 60 रुपये प्रति किलो पर बढ़ा दिया गया है, जो किसानों के लिए खुशी का समय हो सकता है।

· कुछ राज्य सरकारें भी मासिक रूप से एक किलो चना दाल उपलब्ध कराती हैं, जो खाद्य सुरक्षा को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है।

· नाफेड द्वारा चना को कम भाव पर पास करने से भी चना पर दबाव पड़ता है, जो बाजार में चने की कमी को और बढ़ा देता है।

इससे स्पष्ट होता है कि दालों के दामों में बढ़ोतरी हो रही है, लेकिन कुछ क्षेत्रों में सरकारी दबाव से भावना कमजोर हो रही है। खासकर, चना की मांग में कमी के बावजूद, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में उत्पादकों को अच्छा मौका मिल रहा है अपने उत्पादों की बेचाई में।

इंदौर मंडी के ताज़ा मंडी भाव के बावजूद, खाद्य सुरक्षा के मामले में सरकार के कदम जरूरी हैं, ताकि किसानों को सही मूल्य मिल सके और देश के भोजन की आपूर्ति सुनिश्चित रूप से हो सके।

मंडी भाव पर प्रभाव:

दालों के मंडी भाव पर प्रभाव डालने वाले कुछ कारक हैं:

1. मौसम: मौसम की परिवर्तन से फसल की प्रमुख स्तिथि पर प्रभाव पड़ सकता है, जिससे उत्पादन में बदलाव हो सकता है और मंडी भाव पर प्रभाव पड़ सकता है।

2. किसानों की अनुभव: किसानों के अनुभव और कृषि प्रौद्योगिकी का उपयोग किसानों के द्वारा उपज के अनुसार की जाती है, और यह मंडी भाव पर प्रभाव डाल सकता है।

3. राज्य सरकार की नीतियां: राज्य सरकारें अक्सर खाद्य उत्पादों के दामों को नियंत्रित करने के लिए नीतियां बनाती हैं, और यह मंडी भाव पर प्रभाव डाल सकती है।

4. सरकारी समर्थन: सरकारें किसानों को उत्पादन में सहायता प्रदान करने के लिए विभिन्न योजनाएं और समर्थन कार्यक्रम चलाती हैं, जो मंडी भाव पर प्रभाव डाल सकते हैं।

5. आपूर्ति और मांग: दालों की आपूर्ति और मांग के साथ मंडी भाव में बदलाव हो सकता है। महसूल की अच्छी प्राप्ति के बाद भाव में कमी हो सकती है, जबकि उत्पादन की कमी के समय में भाव में वृद्धि हो सकती है।

6. अंतरराष्ट्रीय विपणन: अंतरराष्ट्रीय बाजार की स्थिति भी मंडी भाव पर प्रभाव डाल सकती है, क्योंकि भारत दुनिया भर में खाद्य उत्पादों का महत्वपूर्ण निर्यातक है।

7. संविदानिक नीतियां: सरकार के निर्णयों और नीतियों का भी मंडी भाव पर प्रभाव होता है, और इसके परिणामस्वरूप किसानों और उपज उत्पादकों को दालों की बाजार में सुरक्षा या चुनौती का सामना करना पड़ सकता है।

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