जीरा की महंगाई से व्यापारी और किसान परेशान, जीरा भाव में तेजी मंदी रिपोर्ट जारी

जीरा की महंगाई से व्यापारी और किसान परेशान, जीरा भाव में तेजी मंदी रिपोर्ट जारी
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जीरा की महंगाई से व्यापारी और किसान परेशान, जीरा भाव में तेजी मंदी रिपोर्ट जारी

खेत खजाना: जीरा, एक मसाला जिसका उपयोग खाने के स्वाद में बढ़ाने के लिए किया जाता है, अब महंगाई की ओर बढ़ रहा है। इसके मूल्य बढ़ गए हैं, जिसके कारण व्यापारी और किसान दोनों ही परेशान हैं।

वायदा बाजार में 65,000 रुपए प्रति क्विंटल के उच्च स्तर पर पहुंची जीरे की कीमतें इसकी मांग में कमी का कारण बनी। इसके साथ ही, व्यापारी भी इसे खरीदने में अधिक रुचि दिखा रहे हैं, जिससे कीमतें ऊपर की ओर बढ़ रही हैं।

जीरे की कीमतें अब उतार पर हैं, लेकिन इसमें बहुत अधिक गिरावट की उम्मीद नहीं की जा सकती है। व्यापार विशेषज्ञों का कहना है कि कीमतें 55,000 रुपए प्रति क्विंटल से नीचे जाने की संभावना नहीं है और पिछले स्तर 65,000 रुपए प्रति क्विंटल से ऊपर जाने के भी आसार नहीं दिखाई दे रहे हैं।

जीरे की बुवाई अक्टूबर में शुरू होती है और इसकी कटाई फ़रवरी के बाद की जाती है। उम्मीद है कि इस वर्ष किसान धनिया के वजाय जीरे की बुवाई ज्यादा करेंगे जिससे जीरे की बुवाई कम से कम 50 प्रतिशत तक बढ़ सकती है।

अधिकांश स्टॉकिस्ट और व्यापारी अपने पिछले स्टॉक को निकाल रहे हैं, कोई भी भविष्य की योजना के तहत खरीदारी नहीं कर रहा है। अगले महीने बाजार का क्या रुख रहेगा, यह मुश्किल है कहना। अनिश्चितता और उतार-चढ़ाव जारी रहेगा।

उम्मीद है कि अगले एक-दो सप्ताह में कीमतें 55,000 रुपए से 65,000 रुपए प्रति क्विंटल के बीच रह सकतीं हैं। यदि जीरे की बुवाई का क्षेत्रफल 50 प्रतिशत तक बढ़ गया, तो जीरे की कीमतें 30,000 रुपए के स्तर तक गिर सकतीं हैं।

इस सीजन मार्च में हुई बेमौसम बरसात और अप्रैल में गर्मी की लहर से, विशेष रूप से गुजरात और राजस्थान में, जीरे की खड़ी हुई फसल को नुकसान होने से कीमतें लगभग दो गुने के स्तर पर जा पहुंची हैं।

इस प्रकार, जीरे की महंगाई की स्थिति वर्तमान में अनिश्चित है और इसमें आने वाले महीनों में और भी उतार-चढ़ाव की संभावना है। किसानों और व्यापारियों को सतर्क रहने और बाजार की गतिविधियों को समझने की आवश्यकता है ताकि वे अपने निवेश और बिक्री के निर्णय ठीक से ले सकें।

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