मौसम की गरमियों के साथ, खाद्य महंगाई बढ़ी: दाल, चावल के दाम में तेज उछाल

"With hot weather, food inflation rises: Sharp rise in prices of pulses, rice"

मौसम की गरमियों के साथ, खाद्य महंगाई बढ़ी: दाल, चावल के दाम में तेज उछाल
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इस साल की बारिश ने न केवल खेती में चुनौतियों को बढ़ाया है, बल्कि भावना भंग किया है कि खाद्य पदार्थों के दामों में भी आवाज उठ सकती है। इस लेख में, हम देखेंगे कि इस मौसमी बदलाव और खेती के प्रभाव के साथ-साथ, चावल और दाल की मूल्यों में उछाल क्यों हुआ है और इसके क्या परिणाम हो सकते हैं।

दालों के दाम में 37% वृद्धि:

इस साल दालों के दाम में विशेष रूप से तेजी से बढ़ोतरी हुई है। 37% की वृद्धि के साथ, दालों की मूल्यों में यह उछाल हम सभी के लिए चिंता का कारण बन गया है। इसके पीछे की मुख्य कारण बेहद विचलित मौसम का है, जिसके कारण फसलों में नुकसान हुआ है। दालों के दाम में इस तरह की वृद्धि, खाद्य महंगाई के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण बदलाव है।

चावल में 9% उछाल:

दालों के साथ ही, चावल में भी 9% की वृद्धि दर्ज की गई है। चावल भारतीय घरों की मुख्य आहार की एक महत्वपूर्ण घटक है और इसके दामों में वृद्धि हमें सभी को महसूस होगी। इसका मुख्य कारण भी मौसमी बदलाव है, जिसने खेतों की प्रतिबद्धता पर प्रभाव डाला है।

महंगाई की दरों पर दबाव:

खाद्य महंगाई की दरों में इस उछाल का भी असर हो सकता है। महंगाई की दरें अब 5.5% से नीचे जाने की अपेक्षा हैं, जिससे सामान्य जनता के लिए बदलाव का असर पड़ सकता है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के लिए यह स्थिति चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि इससे मौद्रिक नीति पर भी दबाव डाल सकता है।

अनाज की बढ़ती हुई पैदावार और मौसम की चुनौतियां:

खाद्य महंगाई में इस वृद्धि के बावजूद, इस सीजन में अनाज की पैदावार के सूचने हैं। हालांकि, मौसम की गुस्से ने सारे ग्रेन फूड के दामों को भी उचाल दिया है। इससे सोयाबीन और अन्य खाद्यान्नों की मांग तेजी से बढ़ सकती है।

चावल के स्टॉक में कमी:

चावल, एक महत्वपूर्ण खाद्य पदार्थ, के स्टॉक में भी कमी है। केंद्र सरकार के सेंट्रल पूल में चावल का स्टॉक पिछले 5 साल के रिकॉर्ड में से सबसे कम है। अगस्त 2018 में, स्टॉक 2.8 करोड़ मीट्रिक टन था, लेकिन अब वह गिरकर 2.43 करोड़ मीट्रिक टन पर पहुंच गया है। इसके परिणामस्वरूप, चावल की मूल्यों में वृद्धि की संभावना है।

सरकार के कदम:

सरकार ने महंगाई को नियंत्रित करने के लिए कई कदम उठाए हैं। चावल, दाल, और चीनी के निर्यात पर रोक लगाई गई है। दालों की मांग को पूरा करने के लिए आयात को दोगुना किया गया है। हालांकि, खरीफ सीजन में 16 करोड़ मीट्रिक टन की उत्पादन का अनुमान है, लेकिन यह भी सत्ताधारी हावाओं के तहत होगा।

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