2500 रुपये में हाथों हाथ बिक रही है मात्र 10 ग्राम केसर, कश्मीर के किसानों ने खोला केसर महंगी होने का राज

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By. Khetkhajana.com

2500 रुपये में हाथों हाथ बिक रही है मात्र 10 ग्राम केसर, कश्मीर के किसानों ने खोला केसर महंगी होने का राज

कश्मीर की केसर से हर कोई वाकिफ है कम से कम क्वालिटी वाली केसर भी बाजार में सोने के भाव बिक रही है केसर का इस्तेमाल मीठा और नमकीन दोनों में किया जाता है। विदेशी केसर की बजाए हिंदुस्तानी केसर दुनिया भर में सबसे महंगी बिकती है केसर की खेती अफगानिस्तान, चीन, अमेरिका और पुर्तगाल समेत दुनियाभर के कई देशों में की जाती हैं।

क्वालिटी और रेट के मामले में हिंदुस्तानी केसर विदेशी केसर से कहीं ज्यादा अधिक भाव में बिकती है। हिंदुस्तानी केसर की कई विशेषताएं हैं कश्मीर के एक केसर उत्पादक किसान ने केसर की कई विशेषताएं बताई हैं उसने हिंदुस्तानी केसर के महंगा होने के कई राज खोले हैं।

कुछ साल पहले तक कश्मीर के पुलवामा समेत कुछ इलाकों में हर साल 15 टन तक केसर का उत्पादन होता था. 5 हजार हेक्टेयर जमीन पर केसर की खेती की जाती थी. लेकिन अब जमीन घटकर करीब 3715 हेक्टेयर रह गई है. वहीं केसर का उत्पादन भी 8-9 टन के आसपास ही सिमटकर रह गया है.
कश्मीर के रहने वाले किसान इरशाद अहमद डार 100 फीसद ऑर्गनिक खेती करते हैं. केसर के साथ ही वो सब्जियां भी उगाते हैं. उनके गांव पत्थलगढ़ी को ऑर्गनिक खेती का दर्जा मिला हुआ है. इतना ही नहीं बीते महीने मार्च में कृषि विभाग ने पूसा, दिल्ली में किसान मेला के दौरान देशभर के दर्जनों किसानों संग इरशाद को भी सम्मानित किया था. इरशाद ने बताया कि हम लोग कश्मीर में केसर की पूरी तरह से ऑर्गनिक खेती करते हैं.

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अगर केसर के फूल या पौधों में कभी कोई बीमारी लगती भी है तो उसका इलाज ऑर्गनिक तरीके से ही किया जाता है. कभी भी पौधे पर केमिकल का इस्तेमाल नहीं करते हैं. फिर चाहें बेशक पूरी फसल ही खराब क्यों न हो जाए. पेस्टीसाइड का इस्तेमाल होने पर हमे मिट्टी खराब होने का भी डर रहता है.

इसके अलावा कश्मीर की केसर को कुदरती ही ऑर्गनिक होने का वरदान मिला हुआ है. हमारे यहां एक लम्बे वक्त तक केसर का फूल बर्फ से ढका रहता है. साथ ही जिस माइनस डिग्री तापमान की जरूरत केसर को होती है वो कश्मी र में उसे लगातार मिलता है. इसके चलते होता यह है कि केसर में भरपूर मात्रा में अरोमा बनता है, जो इसे दुनियाभर की केसर से खास बनाता है. इसीलिए आप देखेंगे कि बाजारों में ईरानी केसर पर कश्मीरी केसर होने का टैग लगाकर बेची जा रही है. जबकि दोनों की ही क्वालिटी में बहुत फर्क है.

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