दो दूल्हों ने दहेज में मिले लाखों रुपए ठुकराए, 1 रुपया व नारियल लेकर की शादी, चारों तरफ हो रही जमकर सराहना
चोपटा। (sandeep Verma) आधुनिकीकरण के इस युग में जहां दहेज के लिए कई बेटियों के घर बसने से पहले ही उजड़ रहें हैं तो वही इसी समाज में कई शख्स ऐसे भी हैं जो बिना एक पल की देरी किए दहेज रूपी लालच को ठोकर मारकर मानवता की मिसाल पेश कर रहे हैं। ऐसा ही कुछ जांड वाला बागड़ व शेरड़ा गांव के दुल्हों ने कर दिखाया है। गांव गुडिया खेड़ा में दो बेटियों की शादि में सुमठनी में रखे पांच-पांच लाख रूपयों को ठुकराकर शगुन के रूप में मात्र 1 रुपया व नारियल लेना ही दोनों परिवारों ने स्वीकार किया। इस नजारे को देखकर वहां मौजूद सभी लोगों ने दूल्हों की जमकर सराहना की और तहे दिल से सभी का धन्यवाद किया।
दहेज के रुपयों को लेने से किया इंकार
दरअसल ऐलनाबाद हल्के के गांव गुडिया खेड़ा निवासी महेश पुत्र जगमाल श्यौरान की दो बेटिया रवीना व नीलम की शादी गांव शेरड़ा निवासी सतीश पुत्र लखी राम व जांडवाला बागड़ निवासी अनमोल पुत्र स्व महेंद्र सिंह भादू के रूप में हुई। गांव गुडिया खेड़ा में दोनो बेटियों की शादी सम्पन्न होने के बाद महेश श्यौरान ने अपनी दोनों लड़कियों की शादी में दहेज स्वरूप दुल्हों को 5-5 लाख 1 हजार रुपए नकद दिए लेकिन वर पक्ष ने दहेज के रुपयों को लेने से इंकार कर दिया और शगुन के रूप में मात्र 1 रुपया व नारियल लेकर इस प्रकिया को संपन्न किया। दोनों की इस मुहिम को देखकर गांव के लोगों ने खुब सराहना की और तालियों की गड़गड़ाहट से दोनों परिवारों का धन्यवाद किया।
चर्चा का बना विषय
ऐसे में दहेज न लेने वालों दोनों वर पक्ष का गांव में चर्चा का विषय बना हुआ है। लड़कियों के पिता व गुडिया खेड़ा गांव के लोगों ने वर पक्ष सहित पूरे परिवार को बधाई दी और दहेज ना लेने व देने की इस मुहिम की दिल खोलकर सराहना की । इस मौके पर दुल्हे सतीश व अनमोल ने कहा कि आज के युग में भी हम पहले की तरह दहेज के रूप में लड़की पक्ष से बड़ी. बड़ी रकम लेते रहे तो फिर हम पढ़े. लिखे युवाओं की शिक्षा का कोई औचित्य नहीं रह जाएगा। आज के दौर में दहेज लेने वालें हर समाज को अपनी सोच बदलने की जरूरत है। हमारे लिए सबसे बड़ा धन पढे-लिखे व अच्छी सोच वाले परिवार के साथ रिश्ता तय होना है।
दूल्हों ने कि युवाओं से की अपील
इस मौके पर दुल्हे सतीश व अनमोल ने अपनी उम्र के अन्य युवाओं से अपील करते हुए कहा कि आज के इस शिक्षित युग में दहेज प्रथा जैसी सामाजिक बुराई को जड़ से खत्म करने के लिए हम सबको साथ मिलकर सहयोग करना होगा। हम सबको अपनी समझदारी का परिचय देते हुए दहेज जैसी बुराई को त्यागकर सिर्फ लड़की को अपनाना होगा ताकि वधू पक्ष के परिवार पर किसी तरह का कर्ज न चढ़े। हम सबके प्रयासों से ही समाज में बदलाव आएगा और समाज से ऐसी सामाजिक कुरीतियों को दूर करने में कामयाबी हासिल होगी।
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