Chanakya niti: किन परिस्थितियों में व्यक्ति का जीवन होता है सबसे ज्यादा कष्टमय

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Chanakya niti: आचार्य चाणक्य एक सफल शिक्षाविद, अर्थशास्त्री, कूटनीतिज्ञ और राजनीतिज्ञ थे। नीति शास्त्र में आचार्य चाणक्य ने जीवन से जुड़ी कई बातें बताई हैं। चाणक्य की नीतियां सुनने व अपनाने में बेशक कठोर लगती हैं लेकिन जिसने भी इन्हें अपनाया उसे सफलता जरूर हासिल होती है। आचार्य चाणक्य ने नीति शास्त्र के दूसरे अध्याय के आठवें श्लोक में तीन स्थितियों का वर्णन किया है। आचार्य चाणक्य का मानना है कि किन तीन स्थितियों में व्यक्ति को सबसे ज्यादा कष्टों का सामना करना पड़ता है।

कष्टं च खलु मूर्खत्वं कष्टं च खलु यौवनम्।
कष्टात्कष्टतरं चैव परगृहेनिवासनम्।।

चाणक्य कहते हैं कि मूर्खता और जवानी निश्चित रूप से दुखदायक होती है। दूसरे के घर में निवास करना यानी किसी पर आश्रित होना तो अत्यंत कष्टदायक होता है। मूर्ख होना कष्टदायक है, क्योंकि वह स्वयं को, अपनों को और दूसरों को एक समान हानि पहुंचाता है।

मूर्खता के समान यौवन भी दुखदायी इसलिए माना गया है क्योंकि उसमें व्यक्ति काम, क्रोध आदि विकारों के आवेग में उत्तेजित होकर कोई भी मूर्खतापूर्ण कार्य कर सकता है। जिसके कारण उसे उसके अपनों और दूसरे लोगों को अनेक कष्ट उठाने पड़ सकते हैं।

Chanakya niti

चाणक्य कहते हैं कि ये बातें तो कष्टदायक हैं ही लेकन इनसे भी ज्यादा कष्टदायक है दूसरे के घर में रहना, क्योंकि दूसरे के घर में रहने से व्यक्ति की स्वतंत्रता समाप्त हो जाती है, जिससे व्यक्तित्व का पूर्णरूप से विकास नहीं हो पाता।

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इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। 

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