बच्चा गोद लेने के लिए दंपति होना जरूरी नहीं,अकेला व्यक्ति को भी है बच्चा गोद लेने में छूट

बच्चा गोद लेने के लिए दंपति होना जरूरी नहीं,अकेला व्यक्ति को भी है बच्चा गोद लेने में छूट
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Khetkhajana

बच्चा गोद लेने के लिए दंपति होना जरूरी नहीं,अकेला व्यक्ति को भी है बच्चा गोद लेने में छूट

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, भारतीय कानून किसी भी व्यक्ति को उसकी वैवाहिक स्थिति से परे बच्चा गोद लेने की अनुमति देता है। अकेले व्यक्ति को भी बच्चा गोद लेने की छूट है। कोर्ट ने कहा, एक आदर्श परिवार में जैविक संतान होना जरूरी नहीं है। इसके बगैर भी कानून बच्चा गोद लेने को मान्यता देता है। शीर्ष अदालत लगातार नौवें दिन समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने की याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।

सीजेआई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय पीठ के समक्ष राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने दलील रखी कि लैंगिक अवधारणा प्रवाही हो सकती है, लेकिन मां या मातृत्व नहीं। एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा, बच्चे का कल्याण सर्वोपरि है कई फैसलों में स्पष्ट है कि बच्चे को गोद लेना मौलिक अधिकार नहीं है। विषमलैंगिक व्यक्तियों से पैदा हुए बच्चों के हितों और कल्याण की रक्षा के लिए हमारे कानूनों की संपूर्ण संरचना विषमलैंगिक और समलैंगिकों के साथ अलग व्यवहार करने को न्यायसंगत मानती है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, आदर्श परिवार में जैविक संतान का होना जरूरी नहीं

सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा, इस बात का कोई मसला ही नहीं है कि बच्चे का हित सर्वोपरि है। हमारा कानून विभिन्न कारणों से बच्चा गोद लेने की अनुमति देता है। अकेले व्यक्ति को भी बच्चा गोद लेने की छूट है। यही नहीं, जैविक बच्चा पैदा करने में सक्षम लोग भी गोद ले सकते हैं। जैविक रूप से बच्चे को जन्म देने की कोई अनिवार्यता नहीं है। पीठ ने पूछा, विषमलिंगी जोड़ों में जब माता-पिता में से किसी एक की मृत्यु हो जाने पर क्या होता है।

मान्यता के विरोध में राजस्थान असम और आंध्र प्रदेश

केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को बताया कि सात राज्यों ने इस मामले में अपने जवाब दिए हैं। राजस्थान, आंध्र प्रदेश और असम ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने का विरोध किया है। वहीं, मणिपुर, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और सिक्किम ने इस मसले को बेहद गंभीर बताते हुए इस पर गहन व विस्तृत चर्चा की जरूरत बताई। इन चारों राज्यों ने तत्काल जवाब दाखिल करने में असमर्थता जताई है।

पीठ ने मांग की खारिज

पीठ ने मामले की सुनवाई से सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ को अलग करने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी। ऐसन थॉमस ने 13 मार्च और 17 अप्रैल को सीजेआई को भेजे अपने पत्रों का उल्लेख किया।

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