टोल प्लाजा पर FASTag से कटे 10 रुपए फालतू , पीड़ित मालिक को मिला 8,000 रुपये का मुआवजा, आप भी रखे ध्यान?

टोल प्लाजा पर FASTag से कटे 10 रुपए फालतू , पीड़ित मालिक को मिला 8,000 रुपये का मुआवजा, आप भी रखे ध्यान?
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टोल प्लाजा पर FASTag से कटे 10 रुपए फालतू , पीड़ित मालिक को मिला 8,000 रुपये का मुआवजा, आप भी रखे ध्यान?

खेत खजाना: देश में एक्सप्रेस-वे और हाईवे का जाल तेजी फैल रहा है. इन हाईवे पर लोगों की यात्रा को सुविधाजनक बनाने और टोल टैक्स वसूलने के लिए टोल-प्लाजा भी बनाए गए हैं. लेकिन बेंगलुरु में एक टोल प्लाजा पर एक्स्ट्रा पैसे काटना NHAI को भारी पड़ गया. बेंगलुरु के एक व्यक्ति ने टोल पर एक्स्ट्रा पैसे काटने के मामले में भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) को शहर की उपभोक्ता अदालत तक घसीट लिया और टोल टैक्स के रूप में महज 10 रुपये अतिरिक्त पैसे काटने पर कोर्ट ने प्राधिकरण को भारी मुआवजे का आदेश दे दिया. आइये जानते हैं क्या है पूरा मामला-

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार बेंगलुरु के गांधीनगर के रहने वाले संतोष कुमार एमबी ने साल 2020 में चित्रदुर्ग में एक राष्ट्रीय राजमार्ग पर अपने वाहन को दो बार चलाया था. इस दौरान टोल प्लाजा को पार करने पर हर बार उनके फास्टैग खाते से 5 रुपये की अतिरिक्त राशि काट ली गई, यानी कि दोनों तरफ से 10 रुपये. संतोष के मुताबिक उनके फास्टैग (FASTag) खाते से टोल प्लाजा पार करने के लिए 35 रुपये कटने चाहिए लेकिन 40 रुपये कट गए. यानी उनसे कुल 10 रुपये अतिरिक्त लिए गए. हालांकि 10 रुपये कोई बहुत बड़ा अमाउंट नहीं होता है, लेकिन एक महीने में लाखों गाड़ियां टोल प्लाजा को पार करती हैं, ऐसे में ये अतिरिक्त कटौती किसी बड़े घोटाले से कम नहीं था.

अधिकारियों ने नहीं सुनी:

कुमार ने इस मामले में शहर के प्राधिकरण के अधिकारियों से संपर्क किया. इतना ही नहीं वो इस मामले को लेकर परियोजना निदेशक और एजेंसी, चित्रदुर्ग की परियोजना कार्यान्वयन यूनिट से भी संपर्क किया, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली. अधिकारियों के डेस्क से डेस्क तक दौड़-भाग कर थक चुके संतोष ने आखिरकार न्यायपालिका पर अपना विश्वास दिखाया और NHAI को अदालत में घसीटा.

उन्होंने पहले अतिरिक्त जिला उपभोक्ता विवाद निवारण चित्रदुर्ग में NHAI परियोजना निदेशक और नागपुर में JAS टोल रोड कंपनी लिमिटेड के प्रबंधक पर मुकदमा दायर किया. जिसके बाद NHAI के परियोजना निदेशक की ओर से एक वकील पेश हुआ और उसने तर्क दिया कि फास्टैग (FAStag) सिस्टम को भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (National Payments Corporation of India) द्वारा डिजाइन, डेवलप और कॉन्फ़िगर किया गया है.

वकील ने कोर्ट में दी ये दलील:

अधिवक्ता ने तर्क दिया कि, 1 जुलाई, 2020 तक कारों के लिए टोल शुल्क वास्तव में 38 रुपये और लाइट कमर्शियल व्हीकल (LCV) के लिए 66 रुपये था. हालांकि, एनएचएआई ने 6 अप्रैल, 2018 को एक सर्कुलर जारी किया था, जिसमें एकत्रित शुल्क को संशोधित कर निकटतम के बराबर कर दिया गया था, जो कि रिपोर्ट के मुताबिक 5 रुपये था. इससे कारों के लिए शुल्क 35 रुपये और LCV के लिए 65 रुपये हो गई और अधिवक्ता के अनुसार नियमानुसार शुल्क काटा गया. इसलिए अधिवक्ता ने मामले को खारिज करने की मांग की.

उपभोक्ता अदालत में मिली जीत:

लेकिन प्राधिकरण के अधिवक्ता के तमाम दावों और दलीलों के बावजूद संतोष कुमार एमबी जीत गए. उपभोक्ता अदालत ने एजेंसी को अतिरिक्त टोल शुल्क वापस करने और उसे 8,000 रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया. इस तरह 10 रुपये के बदले संतोष कुमार को 8000 रुपये का मुआवजा मिला. लेकिन इन सब के पीछे उनका अटूट विश्वास और मेहनत दोनों शामिल थी.

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