Khetkhajana
सिर्फ गोपालन से बना ये किसान लखपति, 40-50 हजार नहीं बल्कि रखता है 3 लाख रुपये की गाये, 4500 रूपये लीटर बेच रहा घी
ग्रामीण किसान खेती के साथ-साथ पशु पालन भी करते हैं। आज भी बड़ी संख्या में किसान खेती के साथ-साथ पशुपालन पर निर्भर है किसानों का पशुपालन की तरफ बढ़ता रुझान उनकी आय ही नहीं आत्मनिर्भरता को भी बढ़ा रहा है। ऐसा ही एक किसान है भीलवाड़ा का किसान सूरत राम जो गांव में ही पशुपालन करते हैं। और महीने के कई लाखों रुपए कमा रहे हैं इनके पास महंगी व देसी नस्ल की गाय हैं जिनका घी बाजार मे दूसरे घी के मुकाबले कई गुना ज्यादा कीमत में बिकता है।
नौकरी छोड़ किया पशुपालन
सूरत राम जाट जो भीलवाड़ा के एक किसान हैं इन्होंने खेती के साथ-साथ पशुपालन भी कर रखा है कॉरपोरेट की नौकरी छोड़ किसान सूरत राम ने पशुपालन में अपना हाथ अजमाया और अब महीने के कई लाखों रुपए कमा रहे हैं इस किसान के पास लगभग 70 गाय हैं जो अलग-अलग व खास नसल की महंगी गाय हैं जिनका घी 500-600 रूपये लीटर नहीं बल्कि बाजार 4500 रूपये लीटर तक बिक रहा है और सिर्फ घी से ही यह किसान महीने के लाखों रुपए कमा रहा है
खास तरीकों से हो रही गायों की देखभाल
किसान सूरत राम जाट की गायों का घी ऐसे ही 4500 रुपए लीटर नहीं दिखता बल्कि यह अपनी गायों की देखभाल खास तरीके से करते हैं उनके पास गिर, कांकरेज, साहिवाल, राठी और थार पारकर नस्ल की गायें हैं. जिनकी कीमत एक लाख से 3 लाख रूपये तक बताई जा रही है। इतना ही नहीं किसान ने 2 से 3 लाख रूपये तक की गाय बेची भी है गायों का दूध बेचने की बजाय यह किसान इनके दूध से घी बनाकर ऑनलाइन 4500 रूपये तक बेच रहे हैं. यह खास किस्म का घी बहुत गुणकारी है खास तरीके से तैयार किया गया यह घी हाथों हाथ बिक रहा है।
गाय पालक सूरत राम अपनी गायों को भगवान श्री कृष्ण की बांसुरी के भजन भी सुनाते हैं और इन गायों के रहने की व्यवस्था भी इस प्रकार कर रखी है जैसे परिवार में लोगों को रहने के लिए की जाती है. इस गौशाला की दीवारों पर भगवत गीता, भगवान श्री कृष्ण और रामायण से जुड़े कोटेशन लिखे हुए हैं. साथ ही गायों के खाने-पीने की आधुनिक व्यवस्था के साथ-साथ हवा के लिए पंखे भी लगा रखे हैं. गौशाला में प्रत्येक 10 फीट पर स्पीकर लगे हुए हैं जिन पर दिन-रात कान्हा के भजन चलते रहते हैं.
सूरत राम जाट ने बताया कि उसके पास अभी गिर और देसी नस्ल की 70 गायें हैं जिनकी संख्या बढ़ाकर वे 150 से 200 करना चाहते हैं. उनका असल मकसद खुद को अधिक से अधिक आत्मनिर्भर बनाना है. अभी उनके पास गिर, कांकरेज, साहिवाल, राठी और थारपारकर नस्ल की गायें हैं. वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत की बात से बहुत अधिक प्रेरित हैं और इस दिशा में गौपालन को मुख्य पेशा बनाया है.
गौपालक जाट कहते हैं कि वे ब्रीड संवर्धन से देसी गाय दिनेश को बचाने में लगा हुए हैं. देशी गाय पालन से अन्य गाय पालन की तुलना में मुनाफा अधिक होता है. वे कहते हैं, मेरे पास 70 गायें हैं. मैंने पिछले वर्ष एक गाय दो से तीन लाख रुपये में बेची और एक गाय छह से 10 लीटर दूध प्रति समय देती है. मगर मैंने आज तक दूध नहीं बेचा है. पहले मैं इन गायों का घी 2000 रुपये प्रति लीटर बेचता था और अब 4500 रुपये लीटर आसानी से बेच लेता हूं.
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