2 एकड़ में बोई मिर्च की खेती से किसान कमा रहा लाखों रुपए,29,500 रूपये प्रति क्विंटल के हिसाब से हाथों हाथ खरीद रहा अमेरिका

2 एकड़ में बोई मिर्च की खेती से किसान कमा रहा लाखों रुपए,29,500 रूपये प्रति क्विंटल के हिसाब से हाथों हाथ खरीद रहा अमेरिका
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Khetkhajana

2 एकड़ में बोई मिर्च की खेती से किसान कमा रहा लाखों रुपए,29,500 रूपये प्रति क्विंटल के हिसाब से हाथों हाथ खरीद रहा अमेरिका

आजकल किसान पारंपरिक खेती छोड़ फलों और सब्जियों की खेती की तरफ रुख कर रहे हैं। किसान पुरानी तकनीकों को छोड़ आधुनिक तरीके से खेती कर अधिक उत्पादन ले रहा है गेहूं, कपास जैसी फसलों को छोड़ किसान अब अपने खेतों में सब्जियां उगा रहे हैं ऐसा ही एक किसान है मराठवाड़ा के हिंगोली का, इस किसान ने पारंपरिक खेती को छोड़कर आधुनिक खेती को बढ़ावा दिया है इस किसान ने अपनी 2 एकड़ जमीन में मिर्च की फसल बो रखी है जिसका इसे बंपर उत्पादन मिल रहा है किसान मुरलीधर भाले राव के लिए मिर्च की खेती फायदे का सौदा साबित हो रही है।

करीब 10 किसानों द्वारा मिलकर की गई इस मिर्च का विदेशों में निर्यात हो रहा है हिंगोली जिले के किसान मिर्च की खेती को लेकर काफी जागरूक है हिंगोली जिले के आशेगाव के किसान सामूहिक तौर पर पापरिका किस्म की मिर्च का उत्पादन ले रहे हैं किसान अपनी उपज ओमनिऐक्टिव हेल्थ टेक्नोलॉजीज कंपनी के माध्यम से सीधे अमेरिका के दवाई बनाने वाली कंपनी को बेच रहे हैं. कंपनी किसानों से 29,500 रूपये प्रति क्विंटल के हिसाब से मिर्च खरीद रही है.

पारंपरिक खेती छोड़ दिया आधुनिक खेती को बढ़ावा

जिले के आसेगाव के किसान मुरलीधर भालेराव पारंपरिक खेती करते थे. लेकिन उससे मुनाफा कम और घाटा ज्यादा हो रहा था. गन्ने की खेती में हो रहे लगातर घाटे के बाद किसान मुरलीधर ने अपने 2 एकड खेत में पापरीका किस्म की मिर्च को लगाया था.पौधे लगाने से लेकर अभी तक एक लाख रुपये के करीब लागत आई है. वही किसान मुरलीधर भालेराव ने खेत में मिर्च लगाने के बाद अपनी फसल का ओमनिऐक्टिव हेल्थ टेक्नोलॉजीज कंपनी के साथ फसल बेचने का कॉन्ट्रैक्ट किया था.

इतनी खास है विदेशी पापरिका मिर्च

पापरिका मिर्च, मिर्च की एक विदेशी किस्म है. यह एसिडिटी और पेट के इलाज की अन्य दवाई बनाने में काम आती है. गुणवत्ता के मामले में अन्य देशों की तुलना में बेहतर और गुणवत्ता पूर्ण उपज के कारण भारत के मिर्च की ज्यादा मांग है. इसीलिए अन्य किस्मों की तुलना में इस फसल को ज्यादा भाव मिल रहा है. पापरीका मिर्च साढ़े चार महीने में बेचने के लिए तैयार होती है. वहीं एक एकड़ में 10 से 15 क्विंटल के करीब उत्पादन मिलता है.

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