Haryana Result bad: अब गुरुओं की लगेगी क्लास, पीजीटी अध्यापकों को 5 दिन की ट्रेनिंग देगा शिक्षा विभाग

Haryana Result bad: अब गुरुओं की लगेगी क्लास, पीजीटी अध्यापकों को 5 दिन की ट्रेनिंग देगा शिक्षा विभाग
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Haryana Result bad: अब गुरुओं की लगेगी क्लास, पीजीटी अध्यापकों को 5 दिन की ट्रेनिंग देगा शिक्षा विभाग

खेत खजाना: हरियाणा में 10वीं और 12वीं के सरकारी स्कूलों के कमजोर परीक्षा परिणाम ने शिक्षा विभाग को चिंता में डाल दिया है। स्कूलों में अध्यापकों की कार्यशैली पर भी सवाल उठ रहे हैं। अब परिणामों को किस तरह से बेहतर बनाया जाए, उस पर मंथन शुरू हो गया है। अब नोटिस जारी कर कहा गया है कि जिन विद्यालयों का परीक्षा परिणाम 60 फीसदी से कम है, उनकी सूची तैयार की जाए तथा उपचारात्मक तौर पर परिणाम सुधारने के लिए अध्यापकों को प्रशिक्षण दिया जाए। विभाग द्वारा ऐसे स्कूलों से परीक्षा परिणामों की सूची मंगवाई गई है। सूची न भेजने वाले स्कूलों को भी सख्त हिदायतें जारी की गई हैं। विभाग द्वारा स्कूलों के शिक्षकों को नई तकनीकों एवं प्रविधियों से अवगत करवाया जाएगा।

कई स्कूलों का परीक्षा परिणाम बोर्ड परीक्षाओं में कमतर आंका गया है, जबकि भारी-भरकम राशि न केवल वेतन बल्कि अन्य मदों पर खर्च की जाती है। ऐसे में विभाग ने गंभीरता दिखाते हुए परीक्षा परिणाम सुधारने की कवायद तेज कर दी है और यह इसी कड़ी का हिस्सा है कि कमतर परीक्षा परिणाम लाने वाले अध्यापकों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। बाकायदा डाइट यानी जिला शिक्षा एवं अध्यापक प्रशिक्षण संस्थानों में अध्यापकों को प्रशिक्षण दिया जाएगा।

पांच दिवसीय प्रशिक्षण के दौरान काम परिणाम आने के कारणों, शिक्षण पद्धतियों तथा तकनीकों पर गहनता से विमर्श किया जाएगा। परिणाम सुधारने के लिए भी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। अध्यापक राजपाल एवं राजेंद्र का कहना है कि प्रशिक्षण शिविरों में परिणामों को कैसे बेहतर बनाया जाए, इस पर चर्चा की जाएगी। वहीं भिवानी के जिला शिक्षा अधिकारी कुलदीप सिंह के अनुसार परिणामों को सुधारने के लिए ऐसा कदम उठाया जा रहा है। अब देखना यह होगा कि किस तरह का मंथन इन शिविरों में किया जाता है तथा कैसे परिणामों को बेहतर बनाया जा सकता है।

क्या कहते हैं जिला शिक्षा अधिकारी

डीईओ कुलदीप ने कहा कि यह समझा जा रहा है कि अध्यापकों को पढ़ाने का कई कई वर्षों का अनुभव होने के बावजूद आखिर कमी किस स्तर पर रही है, इस पर मंथन किया जाना बेहद जरूरी है। हालांकि तर्क दिए जा रहे हैं कि कोविड काल में परीक्षा नहीं हुई थी तथा बिना परीक्षा के ही बच्चों को प्रमोट किया था। ये वही विद्यार्थी है जिन्होंने इस बार बोर्ड की परीक्षा दी तथा कम परिणाम आने की वजह बने ।

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