दुनिया के ऐसे देश जहां होती है पानी की खेती, कोहरे और हवा से बना लेते है पानी

दुनिया के ऐसे देश जहां होती है पानी की खेती, कोहरे और हवा से बना लेते है पानी
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Khetkhajana

दुनिया के ऐसे देश जहां होती है पानी की खेती, कोहरे और हवा से बना लेते है पानी

पानी हमारे जीवन का एक जरूरी हिस्सा है पानी के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। चाहे घरेलू काम हो, औद्योगिक हो या कृषि कार्य सभी में पानी की जरूरत पड़ती है विश्व के कई ऐसे देश है जहां लोग पीने के पानी के लिए तरसते हैं और बूंद बूंद पानी इकट्ठा कर उसे काम में लाते हैं बात अगर भारत की करें तो यहां भी कई राज्य ऐसे हैं जहां पीने के पानी की किल्लत है और खेत में सिंचाई का अभाव होने के कारण किसान फसलों का ठीक से उत्पादन नहीं ले सकते हैं भारत में राजस्थान के साथ-साथ बुंदेलखंड, कर्नाटक, तमिलनाडु और उड़ीसा के ऐसे कई क्षेत्र हैं जहां किसानों को पानी की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है यहां लोग पीने के पानी के लिए भी तरस रहे हैं।

यह देश कर रहे पानी की खेती

आपने जो, गेहूँ, चना, बाजरा, मक्का, सरसों और नरमा की खेती के बारे में तो सुना ही होगा लेकिन क्या पानी की खेती के बारे में सुना है, जी हां आपको विश्वास नहीं होगा लेकिन विश्व के कई ऐसे देश हैं जो पानी की खेती करते हैं विज्ञान ने मानव जीवन को बहुत अधिक बदल दिया है पिछले 30 दशकों में विज्ञान में बहुत तरक्की की है विश्व के ऐसे देश जहां पानी की इतनी कीमत है कि लोग बूंद-बूंद पानी को तरसते हैं वहां के किसान विज्ञान की एक ऐसी तकनीक द्वारा हवा और कोहरे से पानी इकट्ठा करते हैं जिसे जान आप भी अचंभित रह जाएंगे।

मोरक्को के लोगों ने रेगिस्तान में पानी की खेती संभव कर इसकी मिसाल पेश की है, वरना कौन सोच सकता है कि रेगिस्तान की बंजर ज़मीन जहां पानी की एक-एक बूंद के लिए लोग तरसते हैं, वहां पानी की खेती भी हो सकती है।

नॉर्थ अफ्रीका के देश मोरक्को में पानी की खेती होती है। यहां हवाओं की नमी को इकट्ठा करने वाली अनूठी तकनीक का इस्तेमाल कर लोगों ने रेगिस्तान की भूमि को पानी से सींचने का काम कर दिखलाया है। इस अनूठी तरकीब से मोरक्को के पांच गाँवों के 400 लोगों को पीने का पानी मिल रहा है।

रेगिस्तान में बड़े-बड़े जाले लगाकर एकत्र करते हैं कोहरा

बंजर टीलों पर लगे बड़े जाल को देखकर आपको कतई अनुभव नहीं होगा कि इस जाल से पानी इकट्ठा करने का काम हो भी सकता है, लेकिन सच्चाई यही है कि मामूली से दिखने वाले इन जालों से कोहरा पकड़ने का काम किया जाता है और फिर इस कोहरे को पानी में तब्दील करने का काम किया जाता है।

इन जालों के जरिए ना सिर्फ पीने का पानी मिल रहा है, बल्कि इस बीहड़- रेगिस्तान में पेड़-पौधे उगने लगे हैं। इन जालों में छह महीने तक समंदर से ओस और कोहरा इकट्ठा किया जाता है। खास किस्म के इन जालों पर ओस और कोहरे के कण फंस जाते हैं। उनकी नमी को एक पाइप से जगह-जगह बने छोटे कुओं में पहुंचा दिया जाता है, जिन्हें ठंडा रखा जाता है। ठंड पाते ही नमी पानी में बदल जाती है, जिसे छान कर मनचाहे तरीके से इस्तेमाल किया जा सकता है।

पेरू में लगभग 1,20,000 लोग ऐसे हैं जिनकी मूलभूत आवश्यकताएं भी पूरी नहीं हो पातीं। पेरू के एक शहर लीमा, जो रेगिस्तान में बसा हुआ है, में लगभग 20 लाख लोगों के सामने पानी की समस्या है। ये लोग भी कोहरा और ओस पकड़ने वाले जाल से पानी इकट्ठा कर अपनी प्यास बुझा रहे हैं।

युवा किसान का देश कहे जाने वाले इजरायल ने खेती से जुड़ी कई समस्याओं पर न सिर्फ विजय पाई है बल्कि दुनिया के सामने खेती को फायदे का सौदा बनाने के उदाहरण रखे हैं। 1950 से हरित क्रांति के बाद इस देश ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। इजरायल ने केवल अपने मरुस्थलों को हराभरा किया, बल्कि अपनी खोजों को चैनलों और एमएएसएचएवी (MASHAV, विदेश मामलों का मंत्रालय) के माध्यमों से प्रसारित किया ताकि अन्य देशों के लोग भी इसका लाभ उठा पाएं।

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