अंशु मलिक की जीवनी: एक प्रतिभाशाली भारतीय महिला पहलवान का सफर

जबरदस्त कुश्ती कौशल, जीवन की कहानी, और अंशु मलिक के उपलब्धियाँ

अंशु मलिक की जीवनी: एक प्रतिभाशाली भारतीय महिला पहलवान का सफर
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अंशु मलिक की जीवनी: युवा प्रतिभा, जो हरियाणा के गाँव से आकर्षित कर रही है

जबरदस्त कुश्ती कौशल, जीवन की कहानी, और अंशु मलिक के उपलब्धियाँ

नाम: अंशु मलिक जन्मदिन: 5 अगस्त 2001 जन्म स्थान: हरियाणा माता का नाम: मंजु मलिक पिता का नाम: धर्मवीर मलिक साल (2022) भाई का नाम: शुभाम मलिक गृहनगर: जींद, हरियाणा जाति: जाट पेश: फ्रीस्टाइल रेसलर / पहलवान कोच: रामचंद्र पवार, जगदीश श्योरण राष्ट्रीयता: भारतीय

अंशु मलिक: कौन हैं?

अंशु मलिक एक भारतीय महिला पहलवान हैं, जिन्होंने अपने प्रदर्शनों से हरियाणा का नाम रोशन किया है। वे हरियाणा के जींद जिले के नीडानी गाँव में पैदा हुई थीं और एक किसान परिवार से संबंध रखती हैं।

जन्म और परिवार

अंशु का जन्म 5 अगस्त 2001 को हरियाणा के जींद जिले के नीडानी गाँव में हुआ था। उनके माता का नाम मंजु मलिक है और पिता का नाम धर्मवीर मलिक है। इनके पिता पहलवानी के पूर्व पहलवान रहे हैं और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतियोगिता में भाग लिया है। धर्मवीर मलिक के पास ज्यादा जमीन है और वे खेती भी करते हैं।

अंशु मलिक के परिवार में उनके माता-पिता, भाई और एक चाचा हैं। उनके भाई का नाम शुभम मलिक है और चाचा का नाम पवन मलिक है। यहां यह भी दिलचस्प है कि पवन मलिक भी एक अंतर्राष्ट्रीय पहलवान रहे हैं और उन्होंने दक्षिण एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक भी जीता है। अंशु का पूरा परिवार पहलवानी को पसंद करता है और इसमें सक्रिय रूप से शामिल है।

शिक्षा

अंशु ने अपनी शुरुआती पढ़ाई भी एक स्पोर्ट्स स्कूल से की है। उन्होंने अपनी पढ़ाई चौधरी भारत सिंह मेमोरियल स्पोर्ट्स स्कूल, नीडानी, से शुरू की थी। अंशु के बचपन से ही पहलवानी का माहौल रहा है, और वे इसे अपने पढ़ाई के साथ करती आई हैं।

कैसे बनीं पहलवान?

अंशु मलिक के जीवन का सफर उनके बचपन से ही पहलवानी को पसंद करते हुए शुरू हुआ। उनके पिता और चाचा दोनों ही अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहलवान रहे हैं, और उनके परिवार में पहलवानी का माहौल था। अंशु ने 13 साल की आयु से ही पहलवानी करना शुरू किया था।

उनके पिता धर्मवीर मलिक ने उनकी प्रशिक्षण के लिए चौधरी भारत सिंह मेमोरियल स्पोर्ट्स स्कूल, नीडानी, में जगदीश श्योरण के पास छोड़ दिया।

उपलब्धियाँ और पुरस्कार

अंशु मलिक ने अपने पहलवानी करियर में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल की हैं। वे एक उच्च-स्तरीय फ्रीस्टाइल रेसलर हैं और उनके प्रमुख पुरस्कार और उपलब्धियाँ निम्नलिखित हैं:

· व्यक्तिगत विश्व कप (2020): रजत पदक, बेलग्रेड, सर्बिया, 57 किलो वर्ग में

· एशियाई चैंपियनशिप (2020): कस्य पदक, नई दिल्ली, भारत, 57 किलो वर्ग में

· एशियाई चैंपियनशिप (2021): स्वर्ण पदक, अल्माटी, कजाकिस्तान, 57 किलो वर्ग में

· विश्व जूनियर कुश्ती चैंपियनशिप (2018): कांस्य पदक, ट्रनावा, स्लोवाकिया, 59 किलो वर्ग में

· एशियाई जूनियर चैंपियनशिप (2019): स्वर्ण पदक, चोन बुरी, थायलैंड, 59 किलो वर्ग में

· विश्व कैडेट चैंपियनशिप (2018): कांस्य पदक, जाग्रेब, क्रोएशिया, 60 किलो वर्ग में

· विश्व कैडेट चैंपियनशिप (2017): स्वर्ण पदक, एथेंस, ग्रीस, 60 किलो वर्ग में

· विश्व कैडेट चैंपियनशिप (2016): कांस्य पदक, तिब्लिसी, जॉर्जिया, 60 किलो वर्ग में

· विश्व कुश्ती चैंपियनशिप (2021): रजत पदक, ओस्लो, नॉर्वे, 57 किलो वर्ग में

अंशु मलिक ने अपने पहलवानी करियर में अपने प्रदर्शन से भारत का नाम रोशन किया है और उन्होंने देश को कई गर्वपूर्ण मोमेंट्स दिलाए हैं।

अंशु मलिक, एक महिला पहलवान के रूप में, भारत के पहलवानी माहौल को बदलने का प्रतीक हैं। उन्होंने अपने संघर्ष, प्रशासनिक योग्यता, और जीवन के लिए पहलवान के मान्यता प्राप्त करने के लिए अपने समर्पण के साथ देश को गर्वित किया है।

इस बड़े उपलब्धिपूर्ण सफर के बावजूद, अंशु मलिक एक सामान्य और आम लड़की की तरह अपने मूल्यों और कठिनाइयों के साथ ज़मीन पर बनी हुई हैं, और वे आगे बढ़कर और भी महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ प्राप्त करने के लिए तैयार हैं।

अंशु मलिक का यह प्रेरणास्पद कहानी हमें यह सिखाती है कि संघर्ष के बावजूद, हार नहीं मानना और सपनों को पूरा करने के लिए मेहनत करना सफलता की कुंजी होती है।

आखिरी शब्द

अंशु मलिक भारतीय कुश्ती के दुनियां में एक प्रतिभाशाली पहलवान हैं जिन्होंने अपने संघर्ष और संघर्ष के बावजूद अपने लक्ष्यों को प्राप्त किया है। उनकी कड़ी मेहनत, प्रतिबद्धता, और उनके परिवार का साथ उन्हें उनके सपनों की पूर्ति में मदद करता है।

अंशु मलिक का जीवन प्रेरणास्पद है और वह हमें यह सिखाती है कि अपने सपनों को पूरा करने के लिए कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। हम सभी को अंशु मलिक की कड़ी मेहनत और समर्पण का गर्व होना चाहिए, और हमें उनके साथ होने वाले आने वाले सफलता के सफर की कामयाबी की कामना करनी चाहिए।

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