भाई की मार्कशीट पर 43 साल तक करता रहा नौकरी, रिटायरमेंट से चंद दिन पहले खुल गई पोल, धारा 420, 467, 468, और 471 के तहत मामला दर्ज

भाई की मार्कशीट पर 43 साल तक करता रहा नौकरी, रिटायरमेंट से चंद दिन पहले खुल गई पोल, धारा 420, 467, 468, और 471 के तहत मामला दर्ज
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भाई की मार्कशीट पर 43 साल तक करता रहा नौकरी, रिटायरमेंट से चंद दिन पहले खुल गई पोल...धारा 420, 467, 468, और 471 के तहत मामला दर्ज

खेत खजाना, ग्वालियर नगर निगम के सहायक वर्ग-3 के कर्मचारी, कैलाश कुशवाह का मामला सुर्खि़ सा है जो उनकी नौकरी के चार्पाई सालों तक चलती रही और फिर रिटायरमेंट के कुछ ही दिन पहले एक शिकायत ने सब कुछ उजागर कर दिया। यह कहानी एक बड़े फर्जीवाड़े की है, जिसका पता चलते ही नगर निगम ने कैलाश कुशवाह को नौकरी से बर्खास्त कर दिया और उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई है।

कैलाश कुशवाह का सिर ऊँचा था नगर निगम में, सहायक वर्ग-3 का कर्मचारी बनकर उन्होंने नौकरी की शुरुआत जून 1981 में की थी। उन्होंने अपने भाई रणेंद्र कुशवाह की मार्कशीट का इस्तेमाल करके नौकरी हासिल की थी, लेकिन यह बात चंद दिन पहले सामने आई कि उस मार्कशीट में कुछ गड़बड़ी है।

शिकायत का मुद्दा उठते ही नगर निगम ने तत्काल विभागीय जांच शुरू की और उसमें खोज करते हुए पाया कि माध्यमिक शिक्षा मंडल भोपाल में कैलाश कुशवाह की मार्कशीट का रिकॉर्ड भी असली नहीं था। जो मार्कशीट कैलाश ने नौकरी हासिल करने के लिए लगाई थी, वह तो रणेंद सिंह कुशवाह के नाम पर थी। इस धारा के तहत कैलाश कुशवाह को अगस्त 2023 में नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया।

इसके बाद, नगर निगम के डिप्टी कमिश्नर अनिल दुबे ने यूनिवर्सिटी थाने में कैलाश कुशवाह के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई है। उन पर धारा 420, 467, 468, और 471 के तहत मामला दर्ज किया गया है। इससे पहले कैलाश कुशवाह का भाई रणेंद्र सिंह कुशवाह भी सरकारी नौकरी में थे, वह राज्य पावर लूम बुनकर सहकारी शाखा ग्वालियर में कार्यरत थे। दोनों भाइयों ने एक ही मार्कशीट पर सरकारी नौकरी प्राप्त की थी, लेकिन फर्जीवाड़े के बाद उनकी छवि पर धड़कंप मचा हुआ है।

यह घटना सिर्फ एक व्यक्ति के जीवन की ही नहीं, बल्कि एक सारे नगर निगम के इतिहास की भी है। कैसे एक फर्जी मार्कशीट ने चार दशकों तक चली नौकरी को बर्बाद कर दिया, यह बात हमें यह सिखाती है कि सरकारी पदों की प्राप्ति के लिए ईमानदारी और सच्चाई की जरूरत है। इसका सीधा असर नोकरशाही, भ्रष्टाचार, और गड़बड़ी से भरा हुआ है।

यह मामला हमें यह भी याद दिलाता है कि जनता को अपने अधिकारों का पूरी तरह से लाभ उठाने के लिए सतर्क रहना चाहिए। सरकारी नौकरी की प्रक्रिया में गड़बड़ी न होने पर भी, लोगों को अपनी जानकारी को सत्यापित करने के लिए सजग रहना चाहिए। शिकायतों को सीधे तौर पर संबोधित करने का तंत्र बनाए रखना भी महत्वपूर्ण है ताकि ऐसी घटनाएं रोकी जा सकें और भ्रष्टाचार को रोका जा सके।

इस मामले से साफ है कि जब तक लोग सतर्क रहेंगे और अपने अधिकारों की रक्षा करेंगे, तब तक समाज में ईमानदारी और न्याय की भावना बनी रहेगी। यह एक सख्त सुखद सिख है कि शिकायतों को गंभीरता से लिया जाना चाहिए और उन पर त्वरित कार्रवाई होनी चाहिए ताकि भ्रष्टाचार को रोका जा सके और समाज में सच्चाई का प्रमोट हो।

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