बढ़ते भाव को देख किसान ने बेची सरसों, भाव मिला सिर्फ 4500 रूपये प्रति क्विंटल, खराब मौसम के चलते पड़ी दोहरी मार

घर मैं जरूरत का सामान लाने के लिए किसान को कुछ दिन पहले सरसों बेचनी पड़ी। लेकिन उसे फसल बेचने का कोई मुनाफा नहीं मिला।

बढ़ते भाव को देख किसान ने बेची सरसों, भाव मिला सिर्फ 4500 रूपये प्रति क्विंटल, खराब मौसम के चलते पड़ी दोहरी मार
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खेतखाजाना

बढ़ते भाव को देख किसान ने बेची सरसों, भाव मिला सिर्फ 4500 रूपये प्रति क्विंटल, खराब मौसम के चलते पड़ी दोहरी मार

किसान की आय का साधन सिर्फ खेतों में उगी फसल ही होती है अनपढ़ या कम पढ़ा लिखा किसान सिर्फ खेती पर ही निर्भर होता है क्योंकि घर परिवार की जिम्मेदारी और अनपढ़ता के कारण किसान सिर्फ खेती करने के लिए मजबूर हो जाता है एक ऐसा ही किसान जिसने सरसों की फसल निकालने के बाद घर में ही कुछ महीनों के लिए इकट्ठी कर ली लेकिन खराब मौसम के चलते सरसों आधी से ज्यादा खराब हो गई। घर मैं जरूरत का सामान लाने के लिए किसान को कुछ दिन पहले सरसों बेचनी पड़ी। लेकिन उसे फसल बेचने का कोई मुनाफा नहीं मिला।

किसान मांगीलाल जिसने अपने घर में कुछ महीनों पहले सरसो को सटोर कर के रखा था लेकिन सरसों दिन प्रतिदिन खराब होती जा रही थी। आसपास के किसानों ने उसे सलाह दी कि वह सरसों बेच दे सरसों की मामूली तेजी को देखते हुए किसान सरसो मंडी में लेकर चला गया। लेकिन वहां उसकी फसल कौड़ियों के भाव बिकी, लगातार दो 3 महीने से खराब मौसम के चलते किसान को दोहरी मार पड़ी।

इस पर किसान का कहना है कि मेरी रोजी-रोटी सिर्फ खेती पर चलती है मैंने अधिक लाभ कमाने के लिए सरसों इकट्ठा करके रखी थी लेकिन सरसों के भीग जाने से इसका भाव बहुत कम मिला है। इसके लिए सरकार या व्यापारियों को दोष देना सही नहीं है क्योंकि खराब मौसम के चलते सरसों का भाव कम मिला. लेकिन किसान सरसों के मिले इस भाव से संतुष्ट है क्योंकि उसका कहना है कि अगर वह कुछ दिन और घर में सरसों रखता तो उसे यह मूल्य भी नहीं मिल पाता।

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