जैसलमेर के इस गांव के लोग पानी को समझते हैं खजाना, घी की तरह करते हैं इकट्ठा, सालों पुरानी बेरियां तकनीक आज भी बरकरार

ये बेरियाँ सूख के वक्त भी पानी को संचित करती हैं और इस प्रकार जैसलमेर के किसानों और पशुओं को पीने के पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करती हैं।

जैसलमेर के इस गांव के लोग पानी को समझते हैं खजाना, घी की तरह करते हैं इकट्ठा, सालों पुरानी बेरियां तकनीक आज भी बरकरार
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खेतखाजाना

जैसलमेर के इस गांव के लोग पानी को समझते हैं खजाना, घी की तरह करते हैं इकट्ठा, सालों पुरानी बेरियां तकनीक आज भी बरकरार

जैसलमेर के अबासर गाँव में बसे किसान धनाराम के लिए उनकी ख़ेती में बनी बेरी वास्तव में एक कीमती खजाना है। यहाँ के लोगों के लिए पानी अत्यंत महत्वपूर्ण है और बेरियाँ इस पानी की आपूर्ति के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। रेगिस्तानी क्षेत्रों में जल संचयन का यह प्राचीन तरीका बेरियों के माध्यम से आज भी उपयोगी है।









पानी की महत्ता

यहाँ एक प्रसिद्ध कहावत है, "घी ढुळ्यां म्हारो की नी जासी, पाणी ढुळ्यां म्हारो जी बळे"। इससे स्पष्ट होता है कि हमारे लिए घी का फैलना कोई महत्त्व नहीं रखता है, लेकिन पानी के फैलने पर हमें बहुत चिंता होती है। यह कहावत पानी की महत्ता को दर्शाती है और यही कारण है कि जैसलमेर के लोग पानी की संरक्षण को महत्व देते हैं।






फलसुंड क्षेत्र में बेरियाँ

राजस्थान के जैसलमेर जिले में फलसुंड क्षेत्र के प्रभुपुरा, अबासर और उनके आसपास के गाँवों में बेरियाँ अभी भी प्रचलित हैं। ये बेरियाँ बारिश के पानी को संग्रहित करने के लिए बनाई जाती हैं और वर्षा जल को संचित करके जैसलमेर के कृषि भूमि और पशुओं के पीने के पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करती हैं। इस प्रकार, यहाँ के लोग बेरियों के माध्यम से पानी की समस्या से बचते हैं।





पानी की कमी की समस्या

धनाराम की कहानी इस समस्या को उजागर करती है जहाँ वह और उनके परिवार के सदस्य बेरियों के माध्यम से पानी का उपयोग करते हैं, जबकि अन्य कामों के लिए उन्हें टैंकर से पानी मंगवाना पड़ता है। यह उनके लिए खर्चसीन है और सालाना 1000 रुपये का खर्च होता है। यहाँ तक कि जलदाय विभाग की जीएलआर तालाब भी पानी की कमी के कारण अब बंद हो गई है। इस प्रकार, पानी की कमी के सामरिक परिणामों का सामना करना पड़ रहा है।

बेरियों की महत्वपूर्ण भूमिका

बेरियों के बारे में धनाराम का कथन स्पष्ट करता है कि ये बेरियाँ सूख के वक्त भी पानी को संचित करती हैं और इस प्रकार जैसलमेर के किसानों और पशुओं को पीने के पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करती हैं। इसके साथ ही, इन बेरियों की मदद से यहाँ के लोगों को पानी की समस्या से निपटने में मदद मिलती है।

जैसलमेर का अनोखा माहौल

जैसलमेर जैसे गर्म और शुष्क इलाकों में पानी की कमी काफी आम है। यहाँ की बारिश काफी कम होती है और गर्मियों के तापमान बहुत ऊँचा होता है। लेकिन बेरियाँ जैसे पानी संचयन तंत्र के माध्यम से जल का इकट्ठा होना जैसलमेर के लोगों के लिए सामान्य हो गया है। यह अनोखा और अद्वितीय माहौल जैसलमेर को एक अलग ही पहचान देता है।

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