यह गांव खुद बिजली बना बेच रहा है सरकार को, आखिर कौन सी तकनीक अपनाते हैं इस गांव के लोग

सरपंच ने पंचायत के नाम पर बैंक से लोन लिया जिससे उन्होंने 110 किमी दूर 350 किलोवॉट का विंड पावर जनरेटर लगवाया।

यह गांव खुद बिजली बना बेच रहा है सरकार को, आखिर कौन सी तकनीक अपनाते हैं इस गांव के लोग
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खेतखाजाना

यह गांव खुद बिजली बना बेच रहा है सरकार को, आखिर कौन सी तकनीक अपनाते हैं इस गांव के लोग

ओडनथुरई, तमिलनाडु के कोयम्बटूर जिले का एक छोटा सा गांव है, जिसे भारत का स्मार्ट गांव कहा जाता है। इस गांव ने अपने प्रगतिशील और सुविधाजनक विकास के कारण देश भर में प्रसिद्धता प्राप्त की है। ओडनथुरई के बदलते चेहरे ने साबित किया है कि गांव का विकास मुख्य रूप से सरकार के हाथों होना आवश्यक नहीं है, बल्कि सामुदायिक सहयोग और स्वयं प्रबंधन भी इसके लिए महत्वपूर्ण हैं। इस लेख में हम ओडनथुरई गांव के बारे में जानेंगे और देखेंगे कि यह गांव कैसे अपने विकास के मार्ग पर अग्रसर है।





ओडनथुरई (Odanthurai) एक छोटा सा गांव है जो तमिलनाडु राज्य के कोयम्बटूर जिले में स्थित है। यह गांव बहुत समय तक विकास के मार्ग पर नहीं था, और यहां के निवासियों के पास बुनियादी सुविधाएं नहीं थीं। लेकिन, एक प्रगतिशील प्रशासनिक नेतृत्व के माध्यम से, यह गांव अपने विकास के रास्ते पर आ गया है। इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे पूर्व सरपंच आर. षणमुगम द्वारा चलाए जाने वाले परियोजनाओं ने ओडनथुरई को भारतीय ग्रामीण विकास का एक उदाहरण बनाया।





आरंभिक समस्याएं: ऊब, ऊर्जा की कमी और ग्रामीण दुर्व्यवस्था

1996 में, जब आर. षणमुगम गांव के सरपंच चुने गए, तो ओडनथुरई ग्रामीण क्षेत्र की बहुत सी समस्याओं का सामना कर रहा था। इस समय गांव में लोगों के पास कच्चे घर थे और साफ पानी और बिजली की सुविधा नहीं थी। इसके कारण ग्रामीण आबादी शहरों की ओर पलायन करने लगी।

आर. षणमुगम ने यह देखकर समझा कि गांव के विकास के लिए इसे आवश्यकताओं की पूर्ति करनी होगी। उन्होंने पंचायत फंड से लोगों के पक्के घर बनाने की प्रस्तावना रखी, जिसे सभी सदस्यों ने मंजूरी दी। उन्होंने गांव में स्ट्रीट लाइट लगवाने का भी निर्णय लिया, जिससे ग्रामीणों की दुर्व्यवस्था को दूर किया जा सके।

ऊर्जा के साधनों का उपयोग: बायोगैस प्लांट से बिजली उत्पादन

अगले कुछ वर्षों में, आर. षणमुगम ने ओडनथुरई के विकास के लिए और भी महत्वपूर्ण पहल की। उन्होंने मालूम किया कि बायोगैस प्लांट के माध्यम से बिजली उत्पादन करने का संभावना है। इसलिए, वे बड़ौदा जा कर बायोगैस प्लांट के बारे में ट्रेनिंग लेने का निर्णय लिया। 2003 में, पहला बायोगैस प्लांट स्थापित किया गया और गांव को बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित की गई। इससे पहले गांव छोड़कर शहरों में जाने वाले लोग वापस आने लगे।

सुविधाएं और विकास: ओडनथुरई का नया स्वरूप

ओडनथुरई में हुए विकास के परिणामस्वरूप, ग्रामीण आबादी का विस्तार हुआ और जनसंख्या 20 साल में 1600 से 10,000 हजार तक बढ़ गई। स्मार्ट विलेज के रूप में ओडनथुरई में अब बच्चों के लिए प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालय हैं। यह गांव आबादी के लिए बुनियादी सुविधाएं, जैसे साफ पानी, बिजली और सड़कों का नेटवर्क, प्रदान करता है।

आर. षणमुगम द्वारा किए गए प्रशासनिक पहलों के परिणामस्वरूप, ओडनथुरई एक उदाहरण है जो दिखाता है कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी विकास संभव है। एक अग्रणी नेतृत्व और सामरिक मनोबल के साथ, हम सभी ग्रामीण क्षेत्रों को विकास की ओर आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित हो सकते हैं।

इस प्लांट की स्थापना के बाद गाँव में बिजली का बिल घट गया। फिर पूरे गांव में सोलर ऊर्जा से स्ट्रीट लाइट कनेक्ट की गयी और साल 2006 आते-आते गाँव में विंड पावर जनरेटर लगाने का प्रस्ताव रखा गया हालांकि पंचायत के पास महज़ 40 लाख का फंड था। जबकि इसका खर्चा 1.55 करोड़ रुपए था। तब सरपंच ने पंचायत के नाम पर बैंक से लोन लिया जिससे उन्होंने 110 किमी दूर 350 किलोवॉट का विंड पावर जनरेटर लगवाया। आज उसकी मदद से पूरा गांव बिजली के मालमे में आत्मिनिर्भर है। तमिलनाडु राज्य सरकार ने लाभकारी उद्यम योजना के तहत परियोजना को मंजूरी दी। 2006 में मंज़ूर की गयी, यह परियोजना भारत में किसी स्थानीय निकाय द्वारा शुरू की गई पहली बिजली परियोजना बन गई।

आज ओड़नथुरई (Odanthurai) ग्राम पंचायत केवल बिजली बनाता ही नहीं बल्कि उसे तमिलनाडु इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड (Tamil Nadu Electricity Board) को बेचता भी है। ओड़नथुरई (Odanthurai) में विंड पावर जनरेटर एक वर्ष में 7.5 लाख यूनिट बिजली पैदा करता है। जबकि पंचायत की जरूरत केवल 4.5 लाख यूनिट है, शेष बिजली तमिलनाडु बिजली बोर्ड को बेची जाती है, जिससे 19 लाख रुपये की वार्षिक आय प्राप्त होती है।

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