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आटे की बढ़ती कीमतें बिगाड़ रहीं रसोई का बजट, गेहूं के दामों में फिर आई तेजी

आटे की बढ़ती कीमतों ने आम आदमी की रसोई का बजट बिगाड़ दिया है। गेहूं के दामों में तेजी के कारण ब्रेड, मफिन, और नूडल्स जैसे उत्पाद महंगे हो सकते हैं।

आटे की कीमतों में लगातार हो रही वृद्धि से आम आदमी की रसोई का बजट लगातार बिगड़ रहा है। 15 सितंबर 2024 को प्राप्त जानकारी के अनुसार, गेहूं के दाम एक नई ऊंचाई पर पहुंच गए हैं। खासकर त्योहारों के सीजन से पहले यह महंगाई हर घर की चिंता का कारण बन रही है।

इन दिनों थोक और खुदरा बाजार में खाद्य वस्तुओं की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं, जिसका सीधा असर हर आम आदमी की जेब पर हो रहा है। खासकर गेहूं और उससे बने आटे की कीमतों में बढ़ोतरी ने रसोई के बजट को बिगाड़ दिया है। आटा, जो हर घर की पहली ज़रूरत है, अब और महंगा हो गया है।

गेहूं और आटे की कीमतों में इस उछाल का कारण आपूर्ति में कमी को माना जा रहा है। पिछले कुछ हफ्तों में आटे की कीमतों में लगभग 20% तक की वृद्धि देखी गई है।

आम आदमी के रसोई का बिगड़ता बजट और इसकी वजह

बढ़ती महंगाई से सबसे ज्यादा प्रभावित वे लोग हैं जो मजदूर वर्ग या निम्न मध्यम वर्ग के हैं। हरी सब्जियों, तेल, आलू-प्याज और टमाटर की कीमतें पहले से ही आसमान छू रही हैं, और अब गेहूं और आटे के बढ़ते दामों ने आम आदमी की परेशानी को और बढ़ा दिया है।

थोक बाजारों में आटा की कीमतें पहले 2250 रुपये प्रति क्विंटल थीं, लेकिन अब यह बढ़कर 2800 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गई है। त्योहारों का मौसम जैसे दशहरा और दीपावली आने वाला है, और इन दिनों में खाद्य पदार्थों की कीमतें और भी बढ़ने की संभावना है।

गेहूं से जुड़े उत्पादों पर असर

आटे की बढ़ती कीमतों का असर सिर्फ रोटी पर ही नहीं, बल्कि गेहूं से बने अन्य उत्पादों पर भी दिखने वाला है। ब्रेड, बिस्किट, मफिन, केक, कुकीज, पास्ता, और नूडल्स जैसे रोज़मर्रा के उपयोग की चीज़ें महंगी हो सकती हैं। ये सभी उत्पाद आम आदमी के जीवन का हिस्सा हैं और इनकी कीमतें बढ़ने से दैनिक जीवन पर सीधा असर पड़ेगा।

सरकार ने दिया स्टॉक लिमिट में संशोधन का निर्देश

आटे की कीमतों में वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए केंद्र सरकार ने गेहूं की स्टॉक लिमिट को संशोधित किया है। सरकार का कहना है कि देश में पर्याप्त मात्रा में गेहूं उपलब्ध है, लेकिन जमाखोरी और सट्टेबाजी को रोकने के लिए यह कदम उठाया गया है।

व्यापारियों, थोक विक्रेताओं, और बड़ी रिटेल चेन पर यह स्टॉक लिमिट लागू होगी, जिससे खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सकेगा। रबी सीजन 2024 में 1129 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदा गया था, और सरकार को उम्मीद है कि यह स्टॉक देश की आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम रहेगा।

हर शुक्रवार को देना होगा स्टॉक अपडेट

सरकार ने सभी व्यापारियों और गेहूं संग्रहालयों को आदेश दिया है कि वे हर शुक्रवार को अपने स्टॉक की स्थिति को अपडेट करें। इसके लिए गेहूं स्टॉक लिमिट पोर्टल पर पंजीकरण करना अनिवार्य किया गया है।

केंद्रीय और राज्य सरकारों के अधिकारी इन स्टॉक्स की निगरानी करेंगे, ताकि बाजार में जमाखोरी और अनियमितताओं पर काबू पाया जा सके। सरकार का कहना है कि इस कदम से आटे की कीमतों में जल्द ही स्थिरता आ सकती है।

आगे क्या होगा?

फिलहाल आटे की कीमतें नियंत्रण में नहीं दिख रही हैं। सरकार द्वारा स्टॉक लिमिट और नियमित निगरानी जैसे कदम उठाए जा रहे हैं, लेकिन जब तक बाजार में आपूर्ति सुचारू नहीं होती, तब तक इन कीमतों में गिरावट की उम्मीद कम ही है।

आम जनता और विशेष रूप से मजदूर वर्ग इस महंगाई से सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहा है। त्योहारों के समय बढ़ती कीमतें लोगों के जीवन में और मुश्किलें ला सकती हैं। इसलिए सभी को जल्द से जल्द राहत मिलनी चाहिए ताकि रसोई का बजट फिर से संतुलित हो सके।

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