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‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ पर मोदी कैबिनेट की मुहर: जानें अब क्या होगा

'वन नेशन, वन इलेक्शन' के लिए बनाई गई कमेटी के अध्यक्ष पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद थे।

नई दिल्ली,  देश में ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ यानी ‘एक देश, एक चुनाव’ को लेकर बड़ा कदम उठाया गया है। आज मोदी कैबिनेट ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में बनी समिति ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसे सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया गया। हालांकि इसे लागू करने के लिए अभी कई संवैधानिक प्रक्रियाएं पूरी करनी होंगी। इस कानून को लागू करने के लिए संविधान संशोधन और राज्यों की मंजूरी आवश्यक होगी।

‘एक देश, एक चुनाव’ का सफर और क्या है रिपोर्ट

‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ के लिए बनाई गई कमेटी के अध्यक्ष पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद थे। इस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली कैबिनेट को सौंपी। कैबिनेट ने इस रिपोर्ट को मंजूरी दे दी है। कमेटी ने देशभर में विभिन्न विशेषज्ञों, राजनीतिक दलों, और नागरिकों से सुझाव लिए थे। रिपोर्ट के अनुसार, 80% से ज्यादा लोगों ने इस विचार का समर्थन किया।

अश्विनी वैष्णव का बयान: लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ होंगे

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कैबिनेट की बैठक के बाद बताया कि ‘एक देश, एक चुनाव’ दो चरणों में लागू होगा। पहले चरण में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ होंगे। दूसरे चरण में पंचायत और नगरपालिका जैसे स्थानीय निकायों के चुनाव कराए जाएंगे। उन्होंने कहा कि यह व्यवस्था पहले भी 1951 से 1967 तक लागू थी।

शीतकालीन सत्र में पेश हो सकता है बिल

मोदी सरकार अब इस मुद्दे पर शीतकालीन सत्र में बिल पेश करने की योजना बना रही है। यह एक संविधान संशोधन विधेयक होगा, जिसके लिए राज्यों की भी सहमति जरूरी है। सरकार की योजना है कि इसे जल्द से जल्द संसद में लाकर सभी राजनीतिक दलों के साथ आम सहमति बनाई जाए।

विपक्ष का रुख और राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया

जहां बीजेपी और उसके सहयोगी दल जैसे जेडीयू और एलजेपी ने इस कदम का समर्थन किया है, वहीं विपक्ष के कई दल इसका विरोध कर रहे हैं। जेडीयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा ने कहा कि यह प्रस्ताव देश को लगातार होने वाले चुनावों से मुक्त करेगा, जिससे विकास योजनाओं पर ध्यान केंद्रित किया जा सकेगा। हालांकि, विपक्षी दल इस पर असहमति जता रहे हैं, खासकर यह देखते हुए कि विभिन्न राज्यों के राजनीतिक परिदृश्य अलग-अलग समय पर चुनाव कराए जाने के पक्ष में हैं।

17 सितंबर को मिले थे संकेत

गृह मंत्री अमित शाह ने 17 सितंबर को ही इस बात के संकेत दिए थे कि ‘एक देश, एक चुनाव’ योजना मोदी सरकार के मौजूदा कार्यकाल के दौरान लागू की जा सकती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी स्वतंत्रता दिवस के अपने संबोधन में कहा था कि बार-बार चुनाव कराने से देश के विकास की गति धीमी हो रही है। इसके साथ ही उन्होंने इस योजना को अपने एजेंडे में प्रमुखता दी थी।

‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ कैसे होगा लागू?

‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ का सीधा मतलब यह है कि केंद्र और राज्यों के सभी चुनाव एक साथ कराए जाएंगे। इस योजना के तहत लोकसभा, विधानसभा और पंचायत चुनाव एक ही समय पर कराए जाएंगे। इससे चुनाव प्रक्रिया पर खर्च होने वाले संसाधनों की बचत होगी और चुनावों के दौरान बार-बार होने वाली आचार संहिता की समस्या से भी निजात मिलेगी।

संवैधानिक चुनौतियां: लागू करने में अड़चनें

हालांकि, इस योजना को लागू करने में अभी कई संवैधानिक चुनौतियां सामने हैं। संविधान में संशोधन किए बिना इस व्यवस्था को लागू नहीं किया जा सकता। इसके अलावा, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की मंजूरी भी जरूरी होगी। इसके साथ ही, जब एक विधानसभा या लोकसभा का कार्यकाल समाप्त होगा, तो नए चुनाव कराने की प्रक्रिया को लेकर भी स्पष्टता चाहिए। इस पर अभी भी चर्चा जारी है कि कैसे यह योजना हर परिस्थिति में लागू हो सकेगी।

विशेषज्ञों की राय

संविधान विशेषज्ञों और राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि ‘एक देश, एक चुनाव’ की योजना बहुत प्रभावी हो सकती है, लेकिन इसे पूरी तरह से लागू करने के लिए व्यापक सहमति और कानून में बदलाव आवश्यक होंगे। यह योजना एक बार लागू हो जाने के बाद चुनावी प्रक्रिया को सुगम बनाएगी, लेकिन इसे लेकर राज्यों के बीच सहमति बनाना एक कठिन काम हो सकता है।

‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ का प्रस्ताव मोदी सरकार की एक बड़ी पहल है, जिसका उद्देश्य चुनाव प्रक्रिया को सरल और संसाधन बचाने वाला बनाना है। इसे लागू करने के लिए कई कानूनी और राजनीतिक प्रक्रियाओं से गुजरना होगा। कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद अब यह देखना होगा कि संसद में यह विधेयक कब लाया जाता है और किस तरह से इसे राज्यों और अन्य राजनीतिक दलों के समर्थन के साथ लागू किया जा सकता है।

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