पराली प्रबंधन के लिए सरकार ने खोला मदद का पिटारा | जानें कैसे मिलेगा स्कीम का लाभ
यह योजना, जो 21 सितंबर 2024 को घोषित की गई, किसानों को अपने फसल अवशेषों को जलाने की बजाय उनका सही ढंग से प्रबंधन करने के लिए प्रेरित करेगी।
हरियाणा सरकार ने पराली प्रबंधन के लिए नई योजनाओं का ऐलान किया है, जो किसानों और गौशालाओं को विशेष सहायता प्रदान करेगी। इस योजना का उद्देश्य धान की फसल के अवशेषों का प्रबंधन करके पर्यावरण संरक्षण और कृषि भूमि की उपजाऊ क्षमता को बनाए रखना है। राज्य के कृषि विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि इस पहल के तहत, गौशालाओं को पराली उठाने के लिए 500 रुपये प्रति एकड़ की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी, जो कि यातायात खर्च के रूप में होगी। किसानों को भी इस योजना का लाभ मिलेगा, क्योंकि उन्हें फसल अवशेषों का प्रबंधन करने पर 1,000 रुपये प्रति एकड़ की सहायता राशि मिलेगी।
यह योजना, जो 21 सितंबर 2024 को घोषित की गई, किसानों को अपने फसल अवशेषों को जलाने की बजाय उनका सही ढंग से प्रबंधन करने के लिए प्रेरित करेगी। सरकार द्वारा दिए जा रहे इन प्रोत्साहनों से किसान न केवल पर्यावरण का संरक्षण करेंगे, बल्कि अपने खेतों की उपजाऊ शक्ति को भी बढ़ा सकेंगे।
सरकार ने गौशालाओं को अधिकतम 15,000 रुपये तक की सहायता राशि देने का फैसला किया है। इसके लिए यह अनिवार्य होगा कि गौशालाएं गौसेवा आयोग के साथ पंजीकृत हों। यह कदम इस बात को सुनिश्चित करेगा कि योजना का लाभ केवल मान्यता प्राप्त और योग्य गौशालाओं को ही मिले। इससे पारदर्शिता भी बनी रहेगी, और इस प्रक्रिया में किसी प्रकार की धांधली की गुंजाइश नहीं रहेगी।
कृषि यंत्रों के माध्यम से फसल अवशेषों का प्रबंधन एक प्रमुख घटक है। किसान जो स्ट्रा बेलर का उपयोग करके फसल अवशेषों की गांठ बनाते हैं, उन्हें 1,000 रुपये प्रति एकड़ की सहायता राशि मिलेगी। इसके अलावा, अगर किसान सुपर सीडर, हैप्पी सीडर, या जिरो टिल सीड मशीन जैसे यंत्रों का उपयोग करके फसल अवशेषों को मिट्टी में मिलाते हैं, तो भी उन्हें प्रोत्साहन राशि दी जाएगी।
इस योजना के तहत सहायता प्राप्त करने के लिए किसानों को विभागीय पोर्टल पर ऑनलाइन पंजीकरण करना अनिवार्य होगा। इसके अलावा, “मेरी फसल-मेरा ब्यौरा” पोर्टल पर भी किसानों को पंजीकरण करना होगा। इस प्रक्रिया से यह सुनिश्चित होगा कि सभी योग्य किसानों को समय पर सहायता मिल सके और उनके डेटा को सही तरीके से प्रबंधित किया जा सके। यह पारदर्शी प्रणाली किसानों को सही लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से विकसित की गई है।
पराली प्रबंधन के फायदे बहुत स्पष्ट हैं। फसल अवशेषों का सही प्रबंधन करने से मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बनी रहती है। यह पोषक तत्वों और मित्र कीटों का संरक्षण करने में मदद करता है, जिससे किसानों की रासायनिक खाद पर निर्भरता कम हो जाती है। इसके अलावा, पराली की गांठ बनाने के बाद किसान इसे बेचकर अतिरिक्त आय भी अर्जित कर सकते हैं। इस प्रकार, पराली प्रबंधन न केवल पर्यावरण के लिए फायदेमंद है, बल्कि किसानों की आर्थिक स्थिति को भी सुधारने का एक जरिया बन सकता है।
हरियाणा सरकार का यह कदम न केवल किसानों के लिए लाभकारी है, बल्कि राज्य की पर्यावरणीय समस्याओं से निपटने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। पराली जलाने की समस्या, जो हर साल सर्दियों में प्रदूषण के बड़े कारणों में से एक होती है, इस योजना के माध्यम से काफी हद तक कम हो सकती है।
किसानों के लिए यह योजना अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसके माध्यम से उन्हें न केवल आर्थिक सहायता मिलेगी, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी उनका योगदान सुनिश्चित होगा।