2025 में कृषि निर्यात में शानदार तेजी के लिए भारत तैयार : रिपोर्ट
कृषि क्षेत्र देश की अर्थव्यवस्था का आधार, 42 प्रतिशत आबादी को रोजगार देता
नई दिल्ली, 3 जनवरी एक लेटेस्ट रिपोर्ट के अनुसार, भारत 2025 में अपने कृषि नियात क्षेत्र में शानदार वृद्धि दर्ज करवाने की मजबूत स्थिति में है। यह तेजी इंफ्रास्ट्रक्चर डिवैल्पमैंट, तकनीकी प्रगति और निर्यात को बढ़ावा देने की पहल पर सरकार के फोकस की वजह से देखी गई है। प्रैक्सिस ग्लोबल अलायंस की रिपोर्ट के अनुसार, ‘किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) भारतीय किसानों, विशेष रूप से छोटे किसानों की आर्थिक भलाई में सुधार के लिए एक शक्तिशाली उपकरण के रूप में उभरे हैं।’
संसाधनों को इकट्ठा कर, एफपीओ किसानों को कम लागत पर गुणवत्तापूर्ण इनपुट तक पहुंच प्रदान करते हैं और बाजार तक पहुंच को सुविधाजनक बनाते हैं। प्रैक्सिस ग्लोबल अलायंस में खाद्य और कृषि के प्रैक्टिस लीडर अक्षत गुप्ता ने कहा, ‘एफपीओ मॉडल के सबसे सफल उदाहरणों में से एक डेयरी सहकारी अमूल है, जिसने लाखों छोटे किसानों को उचित मूल्य और विशाल बाजार नेटवर्क तक पहुंच प्रदान कर सशक्त बनाया है।’ भारत का कृषि क्षेत्र इसकी अर्थव्यवस्था का आधार बना हुआ है, जो लगभग 42 प्रतिशत आबादी को रोजगार देता है। सकल घरेलू उत्पाद में इसका योगदान 18 प्रतिशत है।
रिपोर्ट के अनुसार, मेगा फूड पार्कों की स्थापना और कोल्ड चेन में निवेश के साथ, भारत फसल कटाई के बाद होने वाले नुक्सान को काफी हद तक कम कर सकता है और अपने उत्पादों की शेल्फ-लाइफ बढ़ा सकता है, जिससे उसे उच्च मूल्य वाले अंतर्राष्ट्रीय बाजारों तक पहुंच बनाने में मदद मिलेगी।
कृषि निर्यात के विस्तार में ऑस्ट्रेलिया की सफलता काफी हद तक फार्म एक्सपोर्ट फैसिलिटेशन प्रोग्राम (एफईएफपी) के कारण है, जो लॉजिस्टिक्स में सुधार करता है। साथ ही निर्यात केंद्र स्थापित करता है और बेहतर व्यापार समझौतों के माध्यम से बाजार तक पहुंच बढ़ाता है।
न्यूजीलैंड जैसे देशों ने मिल्क- प्रोसैसिंग टैक्नोलॉजी में निवेश कर डेयरी निर्यात में सफलतापूर्वक विविधता लाए हैं। इसी तरह, भारत हाई-वैल्यू फसलों जैसे फलों से जूस, मसालों से एसेंशियल ऑयल, डेयरी से पाउडर और चीज प्रोसैस करने पर अपना ध्यान केंद्रित कर सकता है, जिससे विशिष्ट निर्यात बाजारों को पूरा किया जा सके।